संदेश

भूख

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मानव को प्रकृति ने दिया दो भूखों का वरदान एक भूख है पापी पेट का जिस से उठता है तूफान दूसरा है सरस सेक्स का जिसमें उलझ गया इंसान दोनों को बिना मिटाए बच नहीं सकता इंसान जब तक रहेगा भ्रष्टाचार काले धन का कदाचार शिक्षा में रहेगा पापाचार गरीबी नहीं मिटेगी यार जब होगा अधार्मिक धर्माचार होता रहेगा नारी पर अत्याचार  इंटरनेट का रहेगा कुसंस्कार  रहेंगे आतंकी समाचार जब तक नहीं मिलेगी सबको  सुख-सुविधा और सुरक्षा  मिट जायेगी भूख की आग  तभी होगी गरीबों की रक्षा जीवन की सरिता बनती है  उसमें वासना का जल है  सेक्स की उर्जा से ही तो  प्रेम की अभिव्यक्ति होती है । यह सृष्टि कितना सुंदर है  सुमन और चांद खिलते हैं  जड़ चेतन के कण-कण में  अपना एक सौंदर्य है । स्त्री पुरुष सृष्टि के फूल है  सौंदर्य बोध होता है  कामना उत्पन्न होती है  जीवन में प्रेम रस घोलता है । मत रोको उठती वासनाओं को  यह जीवन नष्ट कर देता है  दबी हुई वासनाएं ही तो  जहर बनकर डसती है । वासनाओं के दमन से  उर्वशी जन्म लेती है  दवा हुआ चित्...

जीवन की सीख

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सीखा तुमने ज्ञान बहुत  अब अज्ञान सीख लो  खोलो विस्मय की आंखें  तोड़ो विस्मृति के भ्रम को  देखो चकमक पत्थर  पक्षी के गीत सुनो  देखो रंग-रिंग सवेरा  मधुर-मधुर संगीत सुनो  सुनो ध्वनी कितनी हैं ?  किस लोक से आती हैं ? जग का जीवन एक कला है  नहीं जानते कुछ हम अज्ञानता ही संपत्ति है  इसे सुरक्षित रहने दो  हमें अज्ञानी बनने दो । जीवन एक प्रार्थना है  धर्मोपदेश कूड़ा-कर्कट है  जीवन का लक्षण संवेदना है  मृत्यु संवेदनहीन है  सुख में जीवन की खातिर  तुम सरल और विनम्र बनो  बीमारी का पता तो चलता है  स्वास्थ्य का पता नहीं चलता  जीवन का केन्द्र प्रेम है  प्रेम बिना जीवन बेकार है  सौंदर्य-रूप-सुगंध संगीत से  जीवन को सुवास से भर देना है  हमें हंसते हुए जीना है  हंस-हंस कर मर जाना है ।

जगत

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सूरज की स्वर्णजयंती में  किरणें नाच रही हैं  सुबह की ताजी हवाओं में  तितलियां उड़ रही हैं । मेरे बगीचे के आंगन में  कलियां खिल-खिला रही है  जगत की विस्तृत बगिया में  मेरा जीवन मुस्कुरा रहा है ।  सत्य को हम नहीं पा सकते  पर वह जाना जा सकता है  अज्ञात जगत की सच्चाई  हम जान नहीं पाते हैं । छोटा बड़ा का भेद कहां ?  मानव की कल्पना है । छोटा दीपक और बड़ा सूरज  दोनों अंधकार मिटाते हैं । जगत सौन्दर्य का ही नाम है  सुगंध और संगीत भरा है  नीचे सागर लहर रहा है  ऊपर चांद चमक रहा है । सत्य की प्रकट रूप जगत है  पदार्थ प्राण का प्रगट रूप है  अदृश्य की केवल बातें होती हैं  जीवन की अभिव्यक्ति जगत है  जीवन एक बंधन नहीं है  मिथ्या व्यक्तित्व बंधन है  मोक्ष की आकाश में नहीं  स्वतंत्र जगत में ही मोक्ष है । स्वतंत्रता में जीने का ही  नाम मोक्ष कहलाता है  जीवन की परिपूर्णता में  जीवन की कला ही मोक्ष है । जगत एक अनन्त रहस्य है  ज्ञानी इसे नहीं पा सकते हैं  धर्मों ने...

प्रेम

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प्रकृति से मिला मानव को शाश्वत प्रेम का उपहार प्रेम केन्द्र है मानव जीवन का तोड़ता है यह अंहकार प्रेम अनन्त है अमृत है  यह जीवन को जोड़ता है  जब टूटती है आश प्रेम की  अहंकार शेष रह जाता है प्रेम केवल एक संबंध नहीं  यह तो चित्त की एक दशा है  प्रेम एक घटना है जो  चेतन के तल पर घटती है प्रेम और अहंकार दो ध्रुव एक है एक जोड़ता है दूसरा तोड़ता है  अहंकार सीमा है मृत्यु का  प्रेम अनन्त है परमात्मा है प्रेम में हिंसा नहीं हो सकती  मिल्कियत में हिंसा होती है  उससे वह पैदा होता है  दोनों प्रेम का दुश्मन है । मालिक बनने की चेष्टा से  प्रेम ही टूट जाता है  पति-पत्नी में इसी  लिए  प्रेम नहीं हो पाता है । संबंध से प्रेम नहीं होता  प्रेम में संबंध रहता है  प्रेमी के पास होने से भी  प्रेम नहीं हो सकता है दो प्राण एक नहीं हो सकते  दो अणु मिलकर एक नहीं होते  भय से ईर्ष्या पैदा होती है  ईर्ष्या  की चिता पर प्रेम चढ़ता है । जहां ज्ञान की पहुंच नहीं है  वहां प्रेम चला जाता है ...

जाति की रेल

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छुक-छुक करती रेल हमारी  युगो से चलती आयी है । चार डब्बों से रेल बनी है  अगले डिब्बे में इंजन है । अगले डिब्बे के पीछे - पीछे  पीछे तीन डब्बे चलते हैं । हर डब्बे में अनेक डब्बे हैं  सब मे ठसाठस लोग भरे हैं । डब्बो में हर वर्ण के लोग थे सब प्रेम भाव से रहते थे । आगे के डिब्बों में समर्थो का प्रमोशन होता रहता था । अगले डिब्बे के कुछ लोगों ने विधि-विधान बना दिया । पहले वर्ण बनता था कर्म से अब जन्म से जाति बना दिया ।  अलग-अलग कर्मकांड बने  ऊंच-नीच का भेद बना । शोषण उत्पीड़न के कारण  डब्बे में हाहाकार मचा । चौथे डब्बे की हालत खराब हुई  सब चीखने चिल्लाने लगे  तुम सबसे नीचे हो चाकरी करो  यही तुम्हारा धर्म में अड़े रहो गुलामी में गौरव करना सीखो  'पर धर्म भयावहः' को समझो  जब जुल्म पराकाष्ठा पर पहुंचा  विद्रोह की आग जल उठी । अगले डिब्बे के लोगों ने कहा  हिंदुत्व का इंजन लगा है ।  राम तेरे पीछे गार्ड बने हैं  तुम हिंदू हो राम सबके हैं । ब्रह्मा ने तुमको जन्म दिया  तुम सब की चाकरी करो  फिर दुहाई शास...

घर वापसी

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भारत में जो जन्म लिया इंसान  हिंदू है हिंदुत्व उनकी पहचान  छोड़े हिंदू, हिंदी हिंदुस्तान  क्यों बनाया तुम पाकिस्तान । जो बन गए ईसाई या मुसलमान फिर से तुम हिंदू बन जाओ आओ आओ अपने घर प्यारे तुम वापस आ जाओ । भारत से बौद्ध धर्म चला चीन जापान में फैल गया सुनो सुनो चीन के रहने वालों कन्फ्यूशियस जीवन अपनाओ । छोड़ो बौद्ध धर्म की शिक्षा  सुनो - सुनो जापान की वासी  वापस आओ अपने घर  शुरू करो शिंजे की पढ़ायी । एशिया से ईसाई धर्म आया  यूरोप में टांग पसार दिया  सुनो - सुनो यूरोप के रहने वालो  तुम पैगान धर्म अपनाओ । अफ्रीका में मानव ने जन्म लिया  संपूर्ण विश्व में फैल गया  सभी मानव अफ्रीका जाओ  अपना घर वापस पाओ । यह विदेश में रहने वालों  मूल देश में लौट आओ  अपमानित हो या भूख मरो  देश - धर्म को मत छोड़ो । वर्तमान को तुम भूलकर  अतीत के सपने में खो जाओ  आओ - आओ अपने घर  प्यारे तुम वापस आ जाओ ।

वंदे मातरम्

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हिमालय की चोटी पर चढ़कर  आजादी के दीवानों ने गाया  सिंधु हिंद की लहरों ने गाया  वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम !                               वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम !      बंगाल की खाड़ी से आयी आवाज  अरब सागर की गहरायी में गूंजी  सारी दुनिया ने जाना सुना गाना वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम् !                               वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम् ! हिम पर्वत से कुमारी अंतरिक्ष तक  बंग  खाड़ी से अरब समुंद्र तक  सब को आजाद किया  वन्दे मातरम् वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम् !                               वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम् !        हिंदू  मुस्लिम सिख ईसाई  सब हैं आपस में भाई - भाई  सब में एकता लाया  वन्दे मातरम् वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम् !     ...

गौरी लंकेश

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आसीन का महीना आया  मां गौरी दुर्गा बनकर आयी  रूप मानव का धर लंकेश आया  पूछा मेरा पुतला क्यों जलाया ? मैं महान शिवभक्त चढ़ा दिया अपना सिर  क्यों नहीं जलाते पुतला महिषासुर का  अब चौककर महिषासुर घबराया  वह छद्म रामभक्त बनकर आया । मां गौरी मेरा नहीं है कोई कसूर  रामलीला वालों ने पुतला जलाया  मां गौरी की लेखनी बन गयी तलवार  छद्म रामभक्त महिषासुर ने स्वीकारा । मैंने ही रामभक्त गांधी को मारा  पनसारे, कुल वर्गी और दाभोलकर  क्षमा करो मां सबका मैं ही हूं हत्यारा  तुम गौरी लंकेश हो प्रतीक नारीशक्ति की  मैं प्रतिक हूं अधम आतंकवाद का । खड़ा रहो  कातिल बताओ तो  तेरे बाजूओं में कितना बल है ? कफन बांध शहीदों की कतार खड़ी है  अरे अब लेखनी में और शान चढ़ेगा  अक्षर शोला बनकर बरसेगा  बिन जलाए तुम स्वयं जल जाओगे ।

राम नाम

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राम नाम जपना  पराया माल अपना  तन-मन को भूलकर  दान-दक्षिणा देना  शराब पीने से तन का लड़खड़ाना  नाम जपने से मन को लड़खड़ाना   लोगों को सम्मोहित कर  गठरी ले भागना  राम नाम जपना  पराया माल अपना । ज्ञान गया, कर्म गया  व्यक्ति भी चला गया  बच गया केवल नाम  बोलो नाम, खाओ नाम, पी लो नाम  राम-नाम जपना  कायर और आलसी बनना  दलालों और  चाटुकारों द्वारा  राम नाम को बेचना  अपने को, राम को और  समाज को धोखा देना  राम राम जपना  पराया माल अपना ।

जवाहर नवोदय विद्यालय समिति 6 क्लास के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन फॉर्म 2020

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जवाहर नवोदय विद्यालय समिति 6 क्लास के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन फॉर्म http://cbseitms.in/nvsregn/index.aspx

धन की देवी

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मैं लक्ष्मी हूं धन की देवी, किसने मुझे था जन्म दिया ? कौन मुझे था पाला पोसा, किसने मुझे था बड़ा किया ? तब पहचान नहीं थी पिता की, वह मातृ सत्ता का युग था । जब नारी आदि शक्ति थी, पुरुषों पर शासन करते थे । जब पुरुष विजयी हुआ, शादी की प्रथा तभी चली । जब नारी ने किया समर्पण, उसे केवल तिरस्कार मिला । समुंद्र से जब मैं निकली थी, तब मेरी भरी जवानी थी । बहु बनी पुरुष पुरातन की, मैं चंचला कहलायी थी । मैं जब स्वयं हुई समर्पित, मुझे चरणों में स्थान मिला । अंकशायनी बनने को आतुर, पर मुझे न कभी सम्मान मिला । मैं अवतार आदि शक्ति की, उपेक्षा ने मुझे कुंठित कर दिया । अतृप्त वासना के कारण, मैंने मानव में तृष्णा भर दिया । जग में धन की ऐसी होड़ चली, मानव - मानव का शत्रु हो गया । धन के खातिर मानव सब, पशुओं से भी बदतर हो गया । कोई नेता हो या अभिनेता, सब को मैंने धन से भर दिया । खिलाड़ी को मुंहमांगा दिया, युवकों ने ताली से संतोष किया । संसार बना काला बाजार, होता वायदा - शेयर का व्यापार । घूसखोरी और घोटालों में, मैं धन की वर्षा करती हूं । प्रकाश में मेरी पूजा होती है, वाहन मेरा अंधा हो जाता है । कह...

विकास

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तीन देव महादेव, ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं , तीन मॉडल राज्य गुजरात, महाराष्ट्र और बिहार हैं । तीन वाद संप्रदायवाद, क्षेत्रवाद और जातिवाद हैं , सभी चुन लो, मान लो यह भारत के आदर्श हैं । परधर्मी सभी मुस्लिम और ईसाई मलेच्छ हैं ,  मलेच्छों का होता जहां संहार उसे गुजरात कहते हैं ।जहां बनता नैनो कार, पूंजीपतियों का होता सत्कार होता अग्नि यज्ञ वहां गरीबों की झोपड़ियां  जलती है। कहते हैं बाल ठाकरे और राज ठाकरे बोल रहे हैं , अंग्रेजी है संपर्क भाषा, हिंदी कामचलाऊ हैं । बोलो मराठी,पढ़ो मराठी, राष्ट्रभाषा कौन है ? भागो बिहारी, हिंदी भाषी, तेरा देश कहां है ? जाति की गर्म हवाएं बहती हैं  जहां उसे बिहार कहते है , यहां हर जाति के नेता है, हर जाति के वोट बैंक हैं । यहां डपोरशंखी सरकार  है, आश्वासन का भंडार है, सोने की डलिया में पैकेज की भीख मांग रही है । मेधावी हैं लोग यहां देश के कोने कोने में जाते हैं , अपने राज्य के विकास संदेशों को फैलाते हैं । गांव - गांव में यहां शराब की दुकानें खुल रही हैं , यहां के लोग जबर्दस्त हैं ,पस्त है फिर भी मस्त हैं । अगर देखो बगल देखो , ...

लोरी

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सो जा सो जा मेरे लाल, कि आयी री निंदिया झुरमुट से । पवन हिंडोले चढ़कर आयी, संग में मृदु पराग है लायी । भृंग दल इसके संगी - साथी, कि आयी रि यह गुंजन के मिस से सो जा सो जा मेरे लाल, कि आयी री निंदिया झुरमुट से । बादल ऊपर सेज बिछी है, रानी सोयी, राजा सोया, पलना पर ललना है सोया आंखों में है सपना खोया मां की ममता सुला रही है कि आयी री वह हृदय कोर से । सो जा सो जा मेरे लाल, कि आयी री निंदिया झुरमुट से । थपकी दे दे मां सुला रही है, अपना मन भी बहला रही है । आ री निंदिया आ री आ मेरे लाल को सुलाती जा । जल्दी सो जा मेरे लाल, कि आयी री निंदिया स्नेह धार से सो जा सो जा मेरे लाल कि आयी री निंदिया झुरमुट से ।

आजादी की चाह

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आजादी की चाह लिए मैं,  युग-युग से भटक रहा हूं । न जाने कब से गुलामी की,  जंजीरों में बंधता आ रहा हूं ।  अब तक मिली नहीं आजादी,  युग-युग से लड़ता आ रहा हूं ।  आजादी की चाह लिए मैं,  युग-युग से भटक रहा हूं।  जब सुना देश हुआ आजाद,  दौरा स्वागत में, जुबान कट गयी ।  झूठे मुकदमे में फंसा दिया,  कलम उठाई हाथ कट गया । बोलने और लिखने पर रोक लगी,  आजादी रूठकर चली गयी ।  आजादी की चाह लिए मैं,  युग-युग से भटक रहा हूं । जुलूस निकला आगे बढ़ा,  लाठियां चली टांग टूट गयी ।  जब मैंने पीछे मुड़ना चाहा,  उसने पीठ पर मारी गोली । शातिर नक्सली बताकर,  फर्जी मुठभेड़ में मार दिया । आजादी की चाह लिए में, युग-युग  से भटक रहा हूं । जब-जब आगे बढ़ना चाहा,  तब-तक पीछे धकेल दिया। मैंने आजादी को प्यार किया,  वह अमीरों के घर चली गयी ।  मेरे मासूम दिल टूट गया,  वह लेन-देन में फंस गयी । आजादी की चाह लिए में, युग-युग  से भटक रहा हूं  जिस नेता पर विश्वास किया,  उसने ही मुझे धोखा दिया । जिस...

जिंदगी और मौत

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जीवन की पहचान है जिंदगी, मौत करता समाप्त जिंदगी । जीवन की प्रिय चाह है जिंदगी,  मौत पर विजय है जिंदगी । अंधेरा मौत, प्रकाश है जिंदगी,  घृणा मौत, प्यार है जिंदगी । पूर्णविराम मौत, वाक्य में जिंदगी,  मौत मौन है,वचाल है जिंदगी । मौत गुलाम है, आजाद है जिंदगी,  मौत बांध है, प्रवाह है जिंदगी । मौत श्राप है, वरदान है जिंदगी,  मौत ढलता शाम, प्रभात है जिंदगी । निराशा है मौत, आशा है जिंदगी,  रुकना है मौत, चलना है जिंदगी ।  रोना है मौत, हंसना है जिंदगी, शैतान है मौत, भगवान है जिंदगी । भयभीत मौत है, निर्भय है जिंदगी, पाताल मौत  है,आकाश है जिंदगी ।  मौत मूल्यहीन है,श्रेष्ठ है जिंदगी, नष्टता मौत है, निर्माण है जिंदगी । मौत अंत है, अनंत है जिंदगी,  हारता मौत, संघर्ष करता है जिंदगी ।  पिछड़ा है मौत, विकास है जिंदगी, सोता है मौत, जागता है जिंदगी । आसान मौत है, कठिन है जिंदगी,  असुंदर मौत, सुंदर है जिंदगी। स्थिर मौत है, विकल है जिंदगी,  मौत शांत, अशांत है जिंदगी।  समस्या मौत, समाधान है जिंदगी,  मौत सवाल है, जवाब है जिं...

रात अभी बाकी है

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तुम कहते स्वर्ण वियान हुआ, मैं कहाता रात अभी बाकी है । तुम कहते देश आजाद हुआ, मैं कहता गुलामी अभी बाकी है । रात अभी बाकी है । गली-गली में भूखे सियार घूम रहे हैं,  रोटी-रोटी कह कुत्ते भौंक रहे हैं । जब तक देश की जनता भूखी है,  आजादी का आना अभी बाकी है।  रात अभी बाकी है । घूम रहे हैं चोरों बंटवारे के दल,  पहरेदार सब सीटी बजा रहे हैं । आतंक - से कांप रही जनता,  भयमुक्त समाज बनाना बाकी है।  रात अभी बाकी है।  आए दिन बच्चे गड्ढे में गिरते हैं,  कौन सुनता है ? बेमौत मारे जाते हैं ।  बन गया संवेदनहीन समाज सारा,  संवेदनशील सरकार बनाना बाकी है ।  रात अभी बाकी है । जुगनू के प्रकाश में विकास खोजते हो, सन-सन करती रात में स्वप्न देखते हो ।  उषा की लाली में विकास-पथ देखा था,  सुप्रभात का आना भी बाकी है । रात अभी बाकी है । तुम कहते स्वर्ण विहान हुआ,  मैं कहता रात अभी बाकी है।