भूख



मानव को प्रकृति ने दिया
दो भूखों का वरदान
एक भूख है पापी पेट का
जिस से उठता है तूफान


दूसरा है सरस सेक्स का
जिसमें उलझ गया इंसान
दोनों को बिना मिटाए
बच नहीं सकता इंसान


जब तक रहेगा भ्रष्टाचार
काले धन का कदाचार
शिक्षा में रहेगा पापाचार
गरीबी नहीं मिटेगी यार


जब होगा अधार्मिक धर्माचार
होता रहेगा नारी पर अत्याचार 
इंटरनेट का रहेगा कुसंस्कार 
रहेंगे आतंकी समाचार


जब तक नहीं मिलेगी सबको
 सुख-सुविधा और सुरक्षा 
मिट जायेगी भूख की आग 
तभी होगी गरीबों की रक्षा


जीवन की सरिता बनती है
 उसमें वासना का जल है
 सेक्स की उर्जा से ही तो
 प्रेम की अभिव्यक्ति होती है ।


यह सृष्टि कितना सुंदर है 
सुमन और चांद खिलते हैं 
जड़ चेतन के कण-कण में 
अपना एक सौंदर्य है ।


स्त्री पुरुष सृष्टि के फूल है 
सौंदर्य बोध होता है
 कामना उत्पन्न होती है
 जीवन में प्रेम रस घोलता है ।


मत रोको उठती वासनाओं को 
यह जीवन नष्ट कर देता है
 दबी हुई वासनाएं ही तो 
जहर बनकर डसती है ।


वासनाओं के दमन से 
उर्वशी जन्म लेती है 
दवा हुआ चित्त ही तो
 कामुक बन जाता है ।


स्त्री-पुरुष की सौंदर्य में
 परमात्मा का सौंदर्य है 
वासना के आकाश में 
उड़ प्रेमी परमात्मा बनता है ।

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