महंगी है भाई मंहगी है





दुर्गा जी की सजावट देखो
हर साल से बड़ी -चढ़ी है
लाखों का पण्डाल बना है
सिंह  कैसे  दहाड़ रहा  है
मंहगी  है  भाई  मंहगी  है।

घर  में नहीं  है  चीनी चाय
मिठाई  का  भाव  चढ़ा  है
पूजा  में मेहमान  आ  गए
शराफत दांव पर  लगी  है
मंहगी  है  भाई  मंहगी  है।

मंत्रियों के हवाई उड़ान  में
बयालिस  करोड़  लगे   हैं
है यह किफायत का नमूना
खजाना  में  माल भरा  है
मंहगी  है  भाई  मंहगी  है।

खा रही देसी घी की जलेबी
जो   मलाई  पोस्ट  पर  है
पेट  पर  मंगाई  की   पट्टी
जनता    बांध    रही    है
मंहगी  है  भाई  मंहगी  है

पौराणिक  रामायण  सर्किट
बिहार में विकसित हो रहे हैं
अंधविश्वासों    की    खेती
सभी जगह लहलहा रही  है
मंहगी  है  भाई   मंहगी  है।

देवता  स्वर्ग  से  उतर कर
पीपल  पर  लटक  रहे  हैं
अब  दूर  होगा  सब  दुख
लाखों के मंदिर बन रहे  हैं
मंहगी  है  भाई  मंहगी  है।

वर्षों  से चार कुंभ लगते हैं
नया अर्ध कुंभलग  रहा  है
स्नान   कर  पुण्य  लूट  लो
अरबों का हिसाब-किताब है
मंहगी   है  भाई   मंहगी  है।

खेत  में  भांग फूल  रहे  हैं
मजदूर  घर  छोड़  रहे   हैं
कारखाना     नहीं    बनेगा
पूजा और भजन करनाक्ष है
मंहगी  है  भाई  मंहगी   है।

अपराधी दनादन बढ़ रहे हैं
शांति   कमिटी  बनानी  है
सरकार  कुछ  नहीं  करेगी
भ्रष्टाचार   से   लड़ना    है
मंहगी  है  भाई  मंहगी   है।


लेखक:- वरुण कुमार



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