बलात्कार
बदल दो संपूर्ण समाज को
जहां होता है बलात्कार
बदल दो सारी संस्कृति को
जिसमें होता है अत्याचार
जहां होती है नारी की पूजा
वहां घूमते हैं बलात्कारी
जहां नारी करती पुरुष पूजा
वहां होता पुरुष अत्याचारी
अरे इतिहास के पन्नों से पूछो
अंजनी और अहिल्या से पूछो
नारियों को क्यों अंग भंग हुआ
कौशिक की सौ फूफियों से पूछो
वृंदा जल कर क्यों राख हुई ?
भगवान विष्णु से जाकर पूछो
विकृत रूप है इस समाज का
संकीर्ण पितृसत्ता का बोलबाला है
होम, यज्ञ और प्रार्थना कर
सदा नारियों को ठकता आया है
जहां है पुरुष का आधिपत्य
नारियां लल्जा से गड़ी रहती हैं
अगर नारी मुख खोलती है
तो एकतरफा दोषी बनती है
आज तक पुरुषो ने क्या किया ?
युद्ध, हिंसा, नफरत और बलात्कार
दमित यौन इच्छा और यौन शिक्षा
इसी से होता आया है बलात्कार
कानून व्यवस्था का मामला नहीं
मामला है समाज संस्कृति का
पुलिस और अदालत से आगे सोचो
मानवीय समाज बनाने का
आधी आबादी जहां गुलाम है
उस देश का विकास क्या होगा ?
नारी को घुट-घुट कर नहीं मरना है
सारा समाज बदलना होगा
फतवा को फतिंगा बना उड़ाओ
खाप पंचायतों को खत्म करो
मोबाइल और ड्रेस एक बहाना है
नारियों मिलकर मुकाबला करो
अपना नाम उजागर करता है
नारी अपना नाम छिपाती है
पीड़िता और कल्पित नाम से
नारी सदा कमजोर होती आयी है
तस्लीमा नसरीन और
सिस्टर जेस्मी से पूछो
पुरुषों को बेनकाब किया है
उनकी आत्माकथाओं से पूछो
दामिनी को शहीद का दर्जा तो
उनके नाम से संगठन बनाओ
वीरांगना हो शहीदों की टोली में
आओ अपना नाम लिखाओ
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