चुप नहीं रहना है


युग युग से चुप रहता आया
देखता रहा सुनता रहा
कभी अपना मुंह नहीं खोला
युग - युग से चुप रहत आया


अपमानित सती को हम
यज्ञकुंड में जलते देखा
तब से नारी जलती आयी
युग - युग से चुप रहता आया


सतयुग में सत्य हरिश्चंद्र
पत्नी, पुत्र और स्वयं को 
दक्षिणा हेतु बेच दिया
युग - युग से चुप रहता आया


समाज में क्रूर महाजन का
मनोबल को बढ़ते देखा
सत्य वचन का बहाना बना
युग - युग से चुप रहता आया


त्रेता में सीता को रो-रो कर
घर से निकलते देखा
अफवाहों का कुतर्क दिया
युग - युग से चुप रहता आया


शूर्पणखा की नाक कटते देखा
नालियों की दुर्गति होती रही
बचाव का अनेक बहाना बनाया
युग - युग से चुप रहता आया


नाजुक दुनिया में आज
अमन - चैन पर खतरा है
मानवता को मरते देखा
युग - युग से चुप रहता आया


पुराने परिचित बहानों और
दलील उसे हम अपने मन को
झूठमुठ समझता आया है
युग - युग से चुप रहता आया


द्वापर में चीरहरण हुआ
वह ठीक था या गलत था ?
किसी ने निर्णय नहीं दिया
युग - युग से चुप रहता आया


जग के सभी दोषों - पापों का
कर्ता ही नहीं वह भी भागी है
जो मूक होकर देखता आया
युग - युग से चुप रहता आया


जवाबदेही और आजादी
साथ साथ रहती आयी है
जवाबदेही दूसरे को देता आया
युग - युग से चुप रहता आया


भय छोड़ अब अकेला खड़ा हूं
दोगली राजनीति को देखकर
मैंने अपनी चुप्पी तोड़ दिया
युग - युग से चुप रहता आया

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