नया सवेरा
मजेदार तुम्हारा डेरा है ।
स्वार्थ छोड़ कूद पड़ो
रणक्षेत्र तुम्हारा है ।
अभी जो चमक रहा है
कल रंग बदलने वाला है ।
अभी जो चल रहा है
कल मिट जाने वाला है ।
ज्ञान का दीप जलाना है
विचारों पर सान चढ़ाना है ।
छोड़ पथ मत भागो तुम
संघर्ष खुला मैदान है ।
ऊपर चढ़ने में चींटी
सौ - सौ बार फिसलती है ।
चढ़कर गिरना , गिरकर चढ़ना
यह वीरों का दस्तूर है ।
बार - बार डुबकी लगाने पर
गोताखोर मोती पाता है ।
असफलता एक चुनौती है
तुमको स्वीकार करना है ।
लहरें मचलती रहे
नौका पार लगाना है ।
खून पसीना बहाकर
नया सवेरा लाना है ।
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