जाति की रेल
छुक-छुक करती रेल हमारी
युगो से चलती आयी है ।
चार डब्बों से रेल बनी है
अगले डिब्बे में इंजन है ।
अगले डिब्बे के पीछे - पीछे
पीछे तीन डब्बे चलते हैं ।
हर डब्बे में अनेक डब्बे हैं
सब मे ठसाठस लोग भरे हैं ।
डब्बो में हर वर्ण के लोग थे
सब प्रेम भाव से रहते थे ।
आगे के डिब्बों में समर्थो का
प्रमोशन होता रहता था ।
अगले डिब्बे के कुछ लोगों ने
विधि-विधान बना दिया ।
पहले वर्ण बनता था कर्म से
अब जन्म से जाति बना दिया ।
अलग-अलग कर्मकांड बने
ऊंच-नीच का भेद बना ।
शोषण उत्पीड़न के कारण
डब्बे में हाहाकार मचा ।
चौथे डब्बे की हालत खराब हुई
सब चीखने चिल्लाने लगे
तुम सबसे नीचे हो चाकरी करो
यही तुम्हारा धर्म में अड़े रहो
गुलामी में गौरव करना सीखो
'पर धर्म भयावहः' को समझो
जब जुल्म पराकाष्ठा पर पहुंचा
विद्रोह की आग जल उठी ।
अगले डिब्बे के लोगों ने कहा
हिंदुत्व का इंजन लगा है ।
राम तेरे पीछे गार्ड बने हैं
तुम हिंदू हो राम सबके हैं ।
ब्रह्मा ने तुमको जन्म दिया
तुम सब की चाकरी करो
फिर दुहाई शास्त्र-पुराण की
तुम लोग हल्ला मत करो ।
कुछ लोग अछूत हो इसलिए
हल-कुदाल चलाओ
जो अछूत नहीं खबासी करो
हमारा जूठा खाना खाओ ।
आदेश हुआ कोई वेद पढ़े नहीं
शम्बुक ने विद्रोह किया
वह वेद पढ़ने पढ़ाने लगा
राम ने सिर उतार लिया ।
लोगों की जानकारी बढ़ी
विद्रोह की अग्नि भड़क उठी
अम्बेदकर ने विद्रोह किया
मनुस्मृति को जला दिया ।
जब बढ़ने लगे अत्याचार
काशी राम ने कहा पुकार
तिलक तराजू और तलवार
इनको मारो जूता चार
जब पानी सिर पर चढ़ने लगा
सवर्णों ने आरक्षण दिया
दलित सदा दलित रहेंगे
ऐसा इंतजाम किया ।
पद और पैसा पाकर लोग
दलाल बन गए ब्राह्मणों का
उनका प्रतीक धारण किए
तिलक जनेऊ कंठी माला ।
आंदोलनों के रूप बदल गए
हरिजन-चमार क्यों कहा ?
मनुस्मृति जलाने के बदले
पक्षों के किताब जलने लगीं
दलित साहित्य दलित विमर्श
करते रहो चाहे जितना
ब्राह्मणों को श्रेष्ठाता पर
कभी आंच नहीं आवेगी ।
ब्राह्मण श्रेष्ठता आधारित
यह समाज बना है ।
बिना इसे चुनौती दिए
तुमको सदा भटकना है ।
जानने ब्रह्मा ने गोता लगाया
निराश हो वे लौट गए
शास्त्रों में गोता लगाएगा
वह डूब कर मर जाएगा
जब तक कर्मकांड रहेगा
बीच की दीवार रहेगी
नया घीसाराम थक-हार कर
दलित का दलित बना रहेगा
छुक-छुक करती रेल हमारी
युगों से चलती आयी है।
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