पाठ-विषयक या वर्णनात्मक प्रस्तुतीकरण Part 1 ( आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण ) 11th class Economics



आकड़े कितने प्रकार से प्रस्तुत कर सकते हैं ?
आंकड़े तीन प्रकार से प्रस्तुत कर सकते हैं। वह निम्न है :- पाठ्य विषयक या वर्णनात्मक प्रस्तुतीकरण
सारणीवद्ध प्रस्तुतीकरण
आरेखीय प्रस्तुतीकरण

आंकड़ों का पाठ्य विषय प्रस्तुतीकरण से आप क्या समझते हैं ?
पाठ्य विषय प्रस्तुतीकरण में आंकड़ों का विवरण पाठ में ही दिया जाता है। जब आंकड़ों का परिमाण बहुत अधिक ना हो तो प्रस्तुतीकरण का यह स्वरूप बहुत अधिक सिद्ध होता है ।
उदाहरणस्वरूप :- राजस्थान के एक शहर में, 8 सितंबर 2020 को पेट्रोल तथा डीजल की कीमतों की वृद्धि के विरोध में आयोजित एक बंद के दौरान 5 पेट्रोल पंप खुले तथा 17 बंद पाए गए और इसी प्रकार से 2 विद्यालय बंद तथा 9 विद्यालय खुले पाए गए ।

आंकड़ों का सारणीबद्ध प्रस्तुतीकरण किस प्रकार से प्रस्तुत किया जाता है ?
सारणीवद्ध प्रस्तुतीकरण में, आंकड़ों को पंक्तियों (क्षैतिज) तथा स्तंभों (ऊर्ध्वाधर ) के रूप में प्रस्तुत किया जाता है ।

'सारणी की कोष्ठिका' किसे कहा जाता है ?
1. तीन पंक्तियां (पुरुष, स्त्री तथा योग) और तीन स्तंभ दिए गए हैं (शहरी, ग्रामीण एवं योग) है। जिसमें बॉक्स में 9 मदों की जानकारी मिलती है।
2. प्रत्येक कोष्ठिका मे किसी लिंग ('स्त्री', 'पुरुष' या 'योग' ) की विशेषता और उसकी संख्या ( ग्रामीण व्यक्तियों,शहरी व्यक्तियों तथा उनके योग की कुल साक्षरता प्रतिशत ) की जानकारी मिलती है।

आंकड़ों की सारणीयन का सर्वाधिक लाभ क्या है ?
आंकड़ों को संख्यिकी प्रयोग एवं उनके आधार पर निर्णय लेने के लिए व्यवस्थित करता है।

सारणीयन मे प्रयुक्त वर्गीकरण कितने प्रकार के होते हैं ?
यह चार प्रकार के होते हैं :-
गुणात्मक
मात्रात्मक
कालिक , और
स्थानिक

गुणात्मक वर्गीकरण से आप क्या समझते हैं ?

जब वर्गीकरण गुणात्मक विशेषता के साथ किया जाता है , जैसे कि समाजिक स्थिति , भौतिकी स्थिति , राष्ट्रीयता , इत्यादि , तो इसे गुणात्मक वर्गीकरण कहा जाता है ।

मात्रात्मक वर्गीकरण पर विवेचना कीजिए ।

आयु, कद, उत्पादन, आय इत्यादि मात्रात्मक विशिष्टताएं हैं। इन विशिष्टताओं को मात्रात्मक रूप में मापा जाता है।यह स्वभाविक रूप से मात्रात्मक होती है।

वर्ग सीमाएं किसे कहते हैं ?
विचारधीन विशेषताओं के मानों को दर्शाने के लिए सीमा निर्धारित कर के वर्गों का गठन किया जाता है। जिन्हें वर्ग-सीमाएं कहते हैं।

कालिक वर्गीकरण पर प्रकाश डालें ।

इस वर्गीकरण में वर्गीकरण का आधार समय होता है तथा आंकड़ों को समय के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है। समय घंटों, दिनों, हफ्तों, महीनों, वर्षों इत्यादि में हो सकता है।

स्थानिक वर्गीकरण से आप क्या समझते हैं ?

जब कोई वर्गीकरण का आधार स्थान हो, तो इसे स्थानिक वर्गीकरण कहते हैं। यह स्थान कोई गांव, कस्बा, खंड, जिला, राज्य या आदि हो सकता है ।



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