राजनेता ( कविता )



राजनीति मेरा पेशा है
एक दल का मैं नेता हूं
मुद्दा की राजनीति है
अफसर नहीं चूकता हूं
मैं एक राज नेता हूं ।


दल का एक सिद्धांत है
बेकार है व्यवहार बिना
मुझको इसका ज्ञान है
 बेकार है वह कर्म बिना 
मैं  एक  राज  नेता  हूं ।



मुद्दा हीन राजनीति तो 
सूनी,उजड़ी,अर्थहीन है
 स्वार्थ का रस पीकर वह
 परिवार वाद में बसती है 
मैं  एक  राज  नेता  हूं ।


मुद्दा राजनीति का सुहाग 
उससे   मेरा   तलाक   है
 भावना   मेरी   प्रियसी  है
 भावुक   मुद्दा   आधार  है 
मैं  एक   राज   नेता  हूं ।


 जन को समझ इतिहास की
 आधी - अधूरी           है
 पुराने कथाओं, मिथकों में
रहकर   जनता  जीती  है
 मैं  एक  राज   नेता   हूं ।


 मूर्तियां लोगों के भीतर 
अंध   श्रद्धा  भरती  है 
धर्म का उन्माद फैलाकर 
तोड़ - फोड़  कराता  हूं
 मैं  एक  राज  नेता  हूं ।


अर्थव्यवस्था सिकुड़ती  है
 गुलाम   पैदा   होती   है 
असमर्थताएं    बढ़ती   है 
असुरक्षा      बढ़ती     है 
मैं  एक  राज  नेता   हूं ।


धार्मिक और सामाजिक
संकीर्णताएं   बढ़ती   है 
मीडिया  से मिलकर मैं
 अपना  लाभ उठाता  हूं
 मैं  एक राज  नेता  हूं ।


मुफ्तखोरी की आदत 
लोगों  में परंपरा  से  है 
सदियों से छठमैया की 
भीख   मांगते आए  हैं
 मैं  एक राज  नेता  हूं ।


 झूठे  आश्वासन  देकर 
सबको ठगता आया हूं 
खैरात बांट- बांट कर 
वोट  बटोरने आया हूं
मैं  एक राजनेता हूं ।




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