संसाधन ( Geography class 8th )
1. जब कोई वस्तु अथवा पदार्थ की उपयोगिता अथवा प्रयोज्यता किसी भी वस्तु अथवा पदार्थ को संसाधन बनाती है।
2. जब कोई वस्तु अथवा पदार्थ उसकी प्रयोग अथवा उपयोगिता उसे मूल्य प्रदान करती है, तब वह संसाधन मूल्यवान होते हैं।
3. मूल्य का तात्पर्य महत्व होता है।
4. कुछ संसाधन आर्थिक मूल्य होता है जबकि कुछ संसाधन आर्थिक मूल्य नहीं होता है।
उदाहरणस्वरूप :-आर्थिक मूल्य में धातुओं को रख सकते हैं, दूसरी ओर बिना आर्थिक मूल्य मनोरम भूदृश्य को रख सकते हैं।
दोनों संसाधन महत्वपूर्ण है जो मनुष्यों की आवश्यकताओं को पूरा करता है।
5. समय और प्रौद्योगिकी दो महत्वपूर्ण कारक है जो पदार्थों को संसाधन में परिवर्तित कर सकते हैं।
प्रौद्योगिकी :- किसी कौशल करने अथवा वस्तु बनाने में नवीनतम ज्ञान का अनुप्रयोग प्रौद्योगिकी है।
ब. संसाधन के प्रकार
1. प्राकृतिक संसाधन
2. मानव निर्मित संसाधन
3. मानव संसाधन
प्राकृतिक संसाधन :- जो संसाधन प्रकृति से प्राप्त होते है और अधिक संशोधन के बिना उपयोग में लाए जाते हैं, वह प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं।
उदाहरण स्वरूप :-नदियां, झीलों का जल, मृदा और खनिज आदि
संसाधन का उपयोग दो तरीकों से करते हैं।
1. कुछ संसाधन हम सीधे प्रकृति से निशुल्क उपहार में प्राप्त करते हैं जिसका उपयोग हम सीधे तौर पर कर सकते हैं।
2. कुछ ऐसे संसाधन है जिसका उपयोग करने के लिए औजार और प्रौद्योगिकी की आवश्यकता होती है।
विभिन्न समूह में प्राकृतिक संसाधनों का वर्गीकरण निम्न तरीकों से करते हैं।
1. उनके विकास एवं प्रयोग के स्तर
2. उद्गम
3. भंडार एवं वितरण
विकास एवं प्रयोग के आधार पर संसाधन को दो वर्गों में रखा जा सकता है।
1. वास्तविक संसाधन
2. संभाव्य संसाधन
वास्तविक संसाधन :- वास्तविक संसाधन वे संसाधन होते हैं जिनकी मात्रा ज्ञात होती है। इन संसाधनओं का उपयोग इस समय कियाााा जा रहा है।
उदाहरण स्वरूप :-
1. जर्मनी के रूर प्रदेश में कोयले
2. पश्चिम एशिया में खनिज तेल
3. महाराष्ट्र में दक्कन पठार की काली मिट्टी के भरपूर निक्षेप
संभाव्य संसाधन :- संभाव्य संसाधन वें संसाधन है जिनकी संपूर्ण मात्रा ज्ञात नहीं हो सकती और इस समय का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। इन संसाधनोंं का उपयोग भविष्य में किया जा सकता है।
इस समय प्रौद्योगिकी का स्तर प्रयोग करने के लिए उन्नत नहीं हो पाया है।
उदाहरण स्वरूप :-
1. लद्दाख में पाया गया यूरेनियम संभाव्य साधन का उदाहरण है। जिनका उपयोग भविष्य में किया जा सकता है।
2. 200 वर्ष पूर्व तीव्र गति वाली पवने एक संभाव्य संसाधन थी किंतु आज वे वास्तविक संसाधन है।
उत्पत्ति के आधार पर संसाधन को दो भागों में बांटा जाता है।
1. जैव संसाधन
2. अजैव संसाधन
जैव संसाधन :- जैव संसाधन सजिव होते हैं। उदाहरण स्वरूप :-पौधे एवं जीव-जंतु
अजैव संसाधन :- अजैव संसाधन निर्जीव होती हैं। उदाहरण स्वरूप :- मृदाएं, चट्टाने और खनिज
प्राकृतिक संसाधन को विस्तृत रूप से कितने भागों में बांटा जाता है ?
1. नवीकरणीय संसाधन
2. अनवीकरणीय संसाधन
नवीकरणीय संसाधन :-
1. नवीकरणीय संसाधन वे संसाधन है जो शीघ्रता से नवीकृत अथवाा पुनः पूरित हो जाते हैं।
2. इनमें से कुछ असीमित हैं और उन पर मानवीय क्रियाओं का प्रभाव नहीं होता, जैसे सौर और पवन ऊर्जा।
3. कुछ ऐसे नवीकरणीय संसाधन है, जो मानव के द्वारा लापरवाही से उपयोग किया जा रहा है और उनके भंडार को भी प्रभावित कर रहा है ,जैसे जल, मृदा और वन
अनवीकरणीय संसाधन :-
1. अनवीकरणीय संसाधन वे संसाधन है जिनका भंडार सीमित है।
2. भंडार के एक बार समाप्त होने के बाद उनके नवीकृत अथवा पुनः पूरित होने में हजारों वर्ष लग सकते हैं । यह अवधि मानव जीवन की अवधि से बहुत अधिक है।
3. उदाहरणस्वरूप :- कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस
संसाधन के वितरण के आधार पर दो प्रकार हैं :-
1. सर्वव्यापक
2. स्थानिक
सर्वव्यापक :- जो संसाधन सभी जगह पाए जाते हैं,जैसे वायु जिसमें हम सांस लेते हैं, सर्वव्यापक है।
स्थानिक :- जो संसाधन एक निश्चित स्थान पर ही पााए जाते है, स्थानिक कहलाते हैं, जैसे तांबा और लौह-अयस्क।
प्राकृतिक संसाधनों का वितरण किन-किन कारकों पर निर्भर करता है ?
भूभाग, जलवायु, ऊंचाई जैसे अनेक भौतिक कारको पर निर्भर करता है।पृथ्वी पर किन कारकों में विभिन्नता होने के कारण संसाधनों का वितरण असमान है।
मानव निर्मित संसाधन :-
प्राकृतिक पदार्थ को जब मानव प्रौद्योगिकी एवं तकनीकों इस्तेमाल करके उसे एक नया रूप देता है, उसे मानव निर्मित संसाधन कहते हैं।
मानव संसाधन का क्या तात्पर्य है ?
1. लोगों की संख्या और योग्यता (मानसिक तथा शारीरिक ) से है।
2. मनुष्य की कुशलताएं ही भौतिक पदार्थों को मूल्यवान संसाधन बनाने में सहायता करती है।
मानव संसाधन :-
1. जब लोग अधिक संसाधन बनाने के लिए प्रकृति का सबसे अच्छा उपयोग तभी कर सकते हैं, जब उनके पास ऐसा करने का ज्ञान, कौशल तथा प्रौद्योगिकी उपलब्ध हो इसलिए मनुष्य एक विशिष्ट प्रकार का संसाधन है अतः लोग मानव संसाधन है।
शिक्षा और स्वास्थ्य , लोगों का बहुमूल्य संसाधन बनाने में मदद करते हैं।
मानव संसाधन विकास :-
जब मानव अधिक संसाधनों के निर्माण में समर्थ होने के लिए लोगों के कौशल में सुधार करना मानव संसाधन विकास कहलाता है।
संसाधन संरक्षण :-
संसाधनों का सतर्कतापूर्वक उपयोग करना और उन्हें नवीकरण के लिए समय देना, संसाधन संरक्षण कहलाता है।
सततपोषणीय विकास :-
1. संसाधनों का उपयोग करने की आवश्यकता और भविष्य के लिए उनके संरक्षण में संतुलन बनाए रखना सततपोषणीय विकास कहलाता है।
2. संसाधनों का सावधानीपूर्वक उपयोगिता ताकि न केवल वर्तमान पीढ़ी की अपितु भावी पीढ़ियों की आवश्यकताएं भी पूरी होती रहे।
सततपोषणीय विकास के कुछ सिद्धांत :-
1. जीवन के सभी रूपों का आदर और देखभाल।
2. मानव जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना।
3. पृथ्वी की जीवन शक्ति और विविधता का संरक्षण करना।
4. प्राकृतिक संसाधनों के ह्रास को कम-से-कम करना।
5. पर्यावरण के प्रति व्यक्तिगत व्यवहार और अभ्यास में परिवर्तन।
6. समुदायों को अपने पर्यावरण की देखभाल करने योग्य बनाना।
हमारा पृथ्वी और इस पर निवास करने वाले लोगों का भविष्य पेड़-पौधों और पारितंत्र की सुरक्षा और संरक्षण से जुड़ा है।
हमारा कर्तव्य हो जाता है कि -
1. सभी नवीकरणीय संसाधनों के उपयोग सततपोषणीय हैं।
2. पृथ्वी पर जीवन की विविधता संरक्षित की जाए।
3. प्राकृतिक पर्यावरण या तंत्र की हानि को कम-से-कम किया जाए।
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