सृष्टि
यह सृष्टि कितना सुंदर है ?
कण-कण में सौंदर्य छिपा है
मजनूं की आंखों से देखो
लैला सुंदरता का खान है
अव्यक्त को क्यों खोजते हो ?
व्यक्त संसार तुम्हारा है
यह संसार कितना सुखमय है ?
प्रकृति तो सुख का भंडार है
लोभ - मोह छोड़कर तो देखो
दुख कभी पास न फटकता है
मानव - मानव भेद मिटाकर देखो
सुख का समुंद्र लहरा रहा है
यह जीवन कितना सुंदर है ?
हर क्षेत्र में आनंद भरा है
हर जीव को अपना बना कर देखो
क्या वह प्रिय पात्र नहीं है ?
जब तक जीवन है सुख से जीकर देखो
मृत्यु का एहसास नहीं होगा
मृत्यु से क्यों डरा करते हो ?
वह तो जीवन का ही एक लक्षण है
जीवन भर आनंद मना कर देखो
जीवन स्नेह मृत्यु बाती है
स्नेह चुकने पर बाती नहीं जलती
जीवन जीने पर मृत्यु नहीं डराती
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