मंजिल


कहां   जा   रहे   हो   बोलो
मंजिल   तुम्हारा   कौन   है ?
बादल    से    जाकर    पूछो
चढ़ पवन पर कहां जा रहा है ?

बहती   जलधारा  जीवन की
इठलाती गीत  गाती मस्ती में
क्यों उसे पता है कहां जा रही
हो जाएगी  विलीन  समुंद्र  में

निर्झर  झर-झर  कहता  है
बहना  ही  उसका जीवन है
मस्ती  ही  उसे  गति देती है
जीवन  में  ठहराव कहां है ?

जीवन  में जो  मायूस  हुए
रुक  गयी  उसकी  जिंदगी
ठोकर खाकर जो रुक गए
मर  गयी  उसकी  जिंदगी

अगर   गिर   गए   डगर  पर
रुको  नहीं   तुम  उठ   जाओ
उदास हुए तो रुक गया जीवन
पतवार चलाओ पार हो जाओ

अगर  हार  गए  जीवन  में
तो  होते  हो  उदास  क्यों ?
खोजते  रहने  पर  भी क्या
कस्तूरी मिलती है मृग को ?

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