सपना
जन्म के आदिकाल से ही
मानव स्वप्न देखता आया है
कुछ नहीं देखा बंद आंखों से
कुछ ने देखा खुली आंखों से
मानव स्वप्न देखता आया है।
आंख बंद कर जब उसने देखा
अध्यात्म जगत में वह खो गया
आंख खोलकर जब उसने देखा
तब विज्ञान का चमत्कार हुआ
मानव स्वप्न देखता आया है।
आंख बंद कर देखा स्वप्न
उड़ता देखा पुष्पक विमान
आंख खोलकर देखा स्वप्न
धरती से उड़ा तब वायुयान
मानव स्वप्न देखता आया है।
आंख बंदकर देखा स्वप्न
मिला दिव्य दृष्टि का ज्ञान
सतत प्रयास से बनाया उसने
मोबाइल ,कंप्यूटर ,टेलिविजन
मानव स्वप्न देखता आया है।
रूचि , प्रतिबद्धता और जुनून
जब मानव में पैदा होती है
योजना बनती प्रयोग होता है
सपना हकीकत में बदल जाता है
मानव स्वप्न देखता आया है।
लेखक:-वरुण कुमार
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