कोसते रहिए ( कविता )


   ज्यो चले काम अपना 
काम चलाते रहिए 
खाते रहने के लिए 
उन्हें खिलाते रहिए ।


ले - देकर अपना काम
जैसे बने निपटाते रहिए
न बने कोई बात अपनी
तो बात बनाते रहिए। 


 अवसर नहीं मिले तो
 नारे लगाते रहिए
 अवसर मिले तो आप 
चौका लगाते रहिए ।


हिंदुत्व और सेकूलर का 
तड़का आप पीते रहिए
 विकास-विकास का नारा लगा
 दंगा का दाग धोते रहिए ।


रोजी - रोटी और मकान
 सब की मांग करते रहिए
 रेडियो , लैपटॉप , टीवी 
लेकर वोट देते रहिए ।


चुनाव में मधु बोतल पीकर 
घर जाकर सोते रहिए
 भोर को भूलकर आप 
सांझ को कोसते रहिए ।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रामधारी सिंह दिनकर कविताएं संग्रह

मेसोपोटामिया सभ्यता का इतिहास (लेखन कला और शहरी जीवन 11th class)

आंकड़ों का आरेखी प्रस्तुतीकरण Part 3 (आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण) 11th class Economics