पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास (Geography 11th class)

 आरंभिक सिद्धांत


पृथ्वी की उत्पत्ति

पृथ्वी की उत्पत्ति के बारे में विभिन्न दार्शनिकों एवं वैज्ञानिक के अनेक परिकल्पनाएं देखने को मिलती है। जिसमें एक परिकल्पना प्रारंभिक एवं लोकप्रिय मत जर्मन दार्शनिक इमैनुअल कान्ट का है।
इमैनुएल कान्ट के मत को 1796 ईस्वी में गणितज्ञ लाप्लेस नीहारिका परिकल्पना को संशोधन किया। 

नीहारिका परिकल्पना :-

1. इस परिकल्पना के अनुसार ग्रहों का निर्माण धीमी  गति घूमते हुए पदार्थों के बादल से हुआ जो कि सूर्य के युवा अवस्था से संबंध थे।
2. बाद में 1900 ईस्वी में चेम्बरलेन और मोल्टन ने कहा कि ब्रह्मांंड में एक अन्य भ्रमणशील तारा सूर्य के नजदीक सेे गुजरा।
3. इसके परिणाम स्वरूप तारे के गुरुत्वाकर्षण से सूर्य - सतह से सिगार के आकार का कुछ पदार्थ निकलकर अलग हो गया।
4. यह तारा जब सूर्य से दूर चला गया तो सूर्य सत्ता से बाहर निकला हुआ या पदार्थ सूर्य के चारों तरफ घूमने लगा और यही धीरे-धीरे संघनित होकर ग्रहों के रूप में परिवर्तित हो गया।
5. निहारिका परिकल्पना के मत को जेम्स जींस और और बाद में Sir Harold Jeffery ने इस मत का समर्थन किया।

द्वैतारक सिद्धांत

1. नीहारिका परिकल्पना में कुछ संशोधन हुआ जिसमें विवरण भिन्न था। यह संशोधन 1950 ईस्वी में रूस के Otto schmidt एवं जर्मनी के Carl weizascar ने किया था।
 2. उनके विचार से सूर्य एक सौर नीहारिका से घिरा हुआ था जो मुख्यतः हाइड्रोजन, हिलियम और धूलकणों की बनी थी।
3. इन कणों के घर्षण और टकराने से एक चपटी तश्तरी की आकृति के बादल का निर्माण हुआ और अभिवृद्धि प्रक्रम द्वारा ही ग्रहों का निर्माण हुआ।

आधुनिक सिद्धांत

ब्रह्मांड की उत्पत्ति

1. आधुनिक समय में ब्रह्मांड की उत्पत्ति संबंधित सर्वमान्य सिद्धांत बिग बैंग सिद्धांत है। इसे विस्तरित ब्रह्मांड परिकल्पना भी कहा जाता है।
2. 1920 ईस्वी में एडविन हब्बल ने प्रमाण दिए कि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है। समय बीतने के साथ आकाशगंगाएं एक दूसरे से दूर हो रही हैं।

3. बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार ब्रह्मांड का विस्तार निम्न अवस्थाओं में हुआ है :



(a) आरंभ में वे सभी पदार्थ अति छोटे गोलक (एकाकी परमाणु) के रूप में एक ही स्थान पर स्थित थे। जिसका आयतन  अत्यधिक सूक्ष्म एवं तापमान तथा घनत्व अनंत था।
(b) बिग बैंग की प्रक्रिया में इस अति छोटे गोलक में भीषण विस्फोट हुआ। इस प्रकार की विस्फोट प्रक्रिया में वृहत विस्तार हुआ।
(c) बिग बैंग की घटना आज से लगभग 13.7 अरब वर्षों पहले हुई थी। ब्रह्मांड का विस्तार आज भी जारी है। विस्तार के कारण कुछ ऊर्जा पदार्थ में परिवर्तित हो गई।
(d) विस्फोट (Bang) के बाद एक सेकंड के अल्पाश के अंतर्गत ही वृहत विस्तार हुआ। इसके बाद विस्तार की गति धीमी पड़ गई।
(e) बिग बैंग होने के आरंभिक 3 मिनट के अंतर्गत ही पहले परमाणु का निर्माण हुआ।
(f) बिग बैंग से 300000 वर्षों के दौरान, तापमान 4500 डिग्री केल्विन तक गिर गया और परमाणवीय पदार्थ का निर्माण हुआ। ब्रह्मांड पारदर्शी हो गया।

ब्रह्मांड के विस्तार का अर्थ है :-आकाशगंगाओं के ए बीच की दूरी में विस्तार का होना। Hoyle ने इसका विकल्प ' स्थिर अवस्था संकल्पना ' के नाम से प्रस्तुत किया। इस संकल्पना के अनुसार ब्रह्मांड किसी भी समय में एक ही जैसा रहा है।

तारों का निर्माण

(a) प्रारंभिक ब्रह्मांड में ऊर्जा एवं पदार्थ का वितरण समान नहीं था। घनत्व में आरंभिक भिन्नता से गुरुत्वाकर्षण बल में भिन्नता आई, जिसके परिणामस्वरूप पदार्थ का एकत्रण हुआ। यही एकत्रण आकाशगंगाओं के विकास का आधार बना। एक आकाशगंगा असंख्य तारों का समूह है।आकाशगंगाओं का विस्तार इतना अधिक होता है कि उनकी दूरी हजारों प्रकाश वर्षों में मापी जाती है।
(b) एक अकेली आकाशगंगा का व्यास 80000 से 150000 प्रकाश वर्ष के बीच हो सकता है। एक आकाशगंगा के निर्माण की शुरुआत हाइड्रोजन गैस से बने विशाल बादल के संचयन से होती है जिसे नीहारिका कहा गया।
(c) क्रमशः इस बढ़ती हुई नीहारिका में गैस के झुंड विकसित हुए। यह झुंड बढ़ते बढ़ते घने गैसीय पिंड बने, जिनसे तारों का निर्माण आरंभ हुआ। तारों का निर्माण लगभग 5 से 6 अरब वर्षों पहले हुआ।

प्रकाश वर्ष :-प्रकाश वर्ष समय में नहीं मापा जाता बल्कि इसे दूरी में मापा जाता है। प्रकाश की गति 300000 किलोमीटर प्रति सेकंड है। 1 साल में प्रकाश कितनी दूरी तय करेगी, वह एक प्रकाश वर्ष होगा। 
यह 9.46 × 1012 किलोमीटर के बराबर है।
पृथ्वी एवं सूर्य की औसत दूरी 14 करोड़ 95 लाख, 98 हजार किलोमीटर है। प्रकाश वर्ष के संदर्भ में यह प्रकाश वर्ष का केवल 8.311 है।

ग्रहों का निर्माण
ग्रहों के विकास की निम्नलिखित अवस्थाएं निम्न है :-
a. तारे 

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