भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका का कुछ परिचय



परिचय
1. श्रीलंका एशिया महाद्वीप में भारत के दक्षिण में स्थित हिंद महासागर का एक बड़ा द्वीप है।
2. 'सिंहल' जाति की बहुलता के कारण सिंहल द्वीप के नाम से भी जाना जाता है।
3. अंग्रेजों ने सिंहल द्वीप को सीलोन नाम से प्रचलित किया।
4. हीरे-मोती, जवाहरात एवं अन्य रत्नों के भंडार होने के कारण इसे मोतियों के द्वीप के नाम से भी विभूषित किया गया है।
5. अंग्रेजों ने इस द्वीप को 1802 ईस्वी में ब्रिटिश साम्राज्य का उपनिवेश बना लिया था। 
6. भारत के स्वतंत्रता के पश्चात 4 जनवरी 1948 ईस्वी को श्रीलंका में उपनिवेश मुक्त होकर एक स्वतंत्र देश बन गया।
7. 1956 ईस्वी से इस देश में लोकतांत्रिक शासन की स्थापना की गयी है।

भारत और श्रीलंका
1. भारत से यह देश लगभग 52 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है। 
2. इसका आकार अंडाकार या बंदमुट्ठी के समान है ।3. 66000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला यह देश पाक जलसंधि द्वारा भारत से अलग होता है यहां अनेक 4. प्रवाल द्वीप पाए जाते हैं जिसे आदम पुल के नाम से भी जाना जाता है।

जनसंख्या एवं धर्म
1. यहां की जनसंख्या 1.9 करोड़ 2005 के अनुसार है। जनसंख्या का औसत घनत्व 250 व्यक्ति वर्ग किलोमीटर है इनकी भाषा सिंहली है।
2. यहां 70% आबादी बौद्ध धर्मावलंबी है। इसके अतिरिक्त हिंदू, मुस्लिम और ईसाई धर्मावलंबी पर्याप्त संख्या में रहते हैं। 
3. उत्तरी श्रीलंका में तमिलों की संख्या अधिक है ।कोलंबो देश की राजधानी है तथा सबसे बड़ा नगर भी है।

भू-सामरिक दृष्टि से
श्रीलंका हिंद महासागर के शीर्ष पर स्थित एक ऐसा देश है जो हिंद महासागर के समुद्री मार्ग से गुजरने वाले सभी जहाजों को औपनिवेशिक काल से इंधन देता रहा है। यह देश भू-सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

संरचना एवं स्थलाकृति
1. यह द्वीप प्रायद्वीपीय भारत की तरह गोंडवाना (प्री केम्ब्रियन) चट्टानों से निर्मित है।
2. श्रीलंका का मैदानी विस्तार तटीय क्षेत्रों में है । 
3. इनके नीचे कठोर चट्टानों के स्तर पाए जाते हैं। 
4. उत्तरी भाग में जाफना का मैदान है,जहां चूना की प्रधानता है।
5. यह 100 मीटर से अधिक ऊंचा नहीं है मध्यवर्ती भाग पठारी है जिसके चारों ओर तटवर्ती मैदान प्रदेश फैले हुए हैं ।
6. यहां सबसे ऊंची चोटी पिदुरता लगानला है जिसकी ऊंचाई 2527 मीटर है एवं अन्य शिखरों में रमपद, बुद्धपद,आदम प्रमुख हैं।

जलवायु की विशेषताएं
1. श्रीलंका की जलवायु मानसुनी है। विश्वत रेखा के नजदीक होने के कारण यहां साल भर गर्मी पड़ती है और वर्षा भी होती रहती है।
2. जाड़े की ऋतु यहां नहीं होती है। 
3. यहां तटीय भाग में वर्षा 200 सेंटीमीटर तक और पर्वतीय क्षेत्रों में 500 सेंटीमीटर से भी अधिक वर्षा होती है।
4. यहां जाड़े एवं गर्मी की ऋतुओं में वार्षिक तापांतर (5°सेंटीमीटर -7°सेंटीमीटर) नहीं के बराबर होता है। 
5. जाड़े की ऋतु में औसत तापमान 22° सेंटीमीटर रहता है पर्वतीय भाग में तापमान 20° सेंटीमीटर रहता है।

तथ्य
विषुवत रेखीय वनस्पति काफी लंबे होते हैं। ये सूर्य की रोशनी पाने की होड़ में एक-दूसरे से लंबे होते चले जाते हैं।

जल प्रवाह
1. यहां की प्रमुख नदियों में महावली गंगा, पान और अरूबी हैं, जो मध्यवर्ती उच्च भूमि से निकलकर तटवर्ती क्षेत्रों से बहती हुई समुद्र में गिरती है।
2. रमपद और बुद्धपदजैसे पर्वतीय क्षेत्रों में दियालुमा,लक्सपाना और पेरावाला सुंदर जलप्रपात भी है।

मृदा एवं वनस्पति
1. यहां उत्तरी मैदान में चूना प्रदान मिट्टी पायी जाती है। सामान्यतः नदियों द्वारा निर्मित जलोढ़ मैदान में लेटराइट मिट्टी पाई जाती है।
2. यहां वनों में रबड़, सिनकोना,गटापार्चा और चेरु की लकड़ियां मिलती है।
3. करीब 30 प्रतिशत भूमि पर वन पाए जाते हैं। मध्यवर्ती पठारी भाग में सघन वन पाए जाते हैं। यहां मुख्यतः विषुवतीय वनस्पति पायी जाती है।
4. यहां की कृषि खाद्यान्न और कृषि से कहीं अधिक व्यवसाय कृषि के रूप में प्रसिद्ध है। 
5. चाय, काली मिर्च, दालचीनी, कहवा, तंबाकू, केला, अनानास, पान, सुपारी, गन्ना, कोको एवं काजू जैसे महत्वपूर्ण व्यवसायिक फसलों को उगाया जाता है।
6. मैदानी क्षेत्रों में चावल तथा तटीय क्षेत्र में नारियल की कृषि मुख्य रूप से होती है।
7. देश के अंदर नदियों तालाबों में मछली पालन का कार्य जोरों पर है चारों तरफ से जल से घिरे होने के कारण मछली उत्पादन एक औद्योगिक रूप ले चुका है तथा यहां की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग बन चुका है।

खनन एवं उद्योग का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
1.यहां खनिज के नाम पर ग्रेफाइट, मोनाजाइट, अबरक एवं लौह-अयस्क मिलते हैं। 
2.नीलम, रक्तमणि, पुखराज जैसे रत्नों की प्रचुरता है यहां समुंद्र से मोती निकालने का व्यवसाय प्रचलित है इस द्वीप को इस कारण पूर्व का मोती भी कहा जाता है
3. उद्योगों का आधार कृषि एवं खनिज दोनों होते हैं। यहां खनिज आधारित उद्योग को स्थापित करने के लिए सभी सुलभ साधन उपलब्ध नहीं है। तथापि कुछ खनिज आधारित उद्योग लगाए गए हैं। 
4. जाफना के मैदान में चूना पत्थर की उपलब्धता को देखते हुए सीमेंट उद्योग लगाए गए हैं लेकिन शक्ति संसाधन के अभाव के कारण बड़े उद्योग बहुत कम लगाए गए हैं।
5. कृषि आधारित उद्योग यहां की अर्थव्यवस्था का आधार है। यहां खाद्य संस्करण उद्योग जैसे चीनी उद्योग, रबड़ उद्योग, मछली उद्योग तथा मसाला उद्योग का विकास हुआ है। 
6. यह उद्योग मुख्य एवं कुटीर उद्योग के रूप में ही विकसित हो पाए हैं। यहां की अधिकांश आबादी कृषि कार्य से लेकर कृषि आधारित उद्योगों में संलग्न है।
7. यहां नारियल से गिरियक तेल, रस्सिया, चटाई एवं कालीन बनाए जाते हैं।
8. श्रीलंका विश्व का सबसे बड़ा चाय निर्यातक देश है ।9. खनिज तेल, मशीनी समान, चीनी, नमक, सीमेंट आदि है जिसे आयात करते हैं।
10. यहां के प्रमुख बंदरगाह में त्रिकोंमाली, कोलंबो है । 11. त्रिकोंमाली में एक नौसैनिक अड्डा भी है।
12. उत्तर में जाफना बड़े नगरों में से एक हैं। इसके अतिरिक्त रत्नपुर, अनुराधा तथा गाल भी प्रमुख नगर हैं।13. श्रीलंका की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित उद्योग, पर्यटन उद्योग एवं मत्स्य व्यवसाय पर आधारित है।
14. यहां लघु उद्योग के विकास की असीम संभावनाएं हैं। हाल के वर्षों में द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन का प्रतिकूल प्रभाव है। फिर भी, देशों में तेजी से विकसित हो रहा देश है।

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