वायुमंडल का संगठन तथा संरचना (11th Geography)



१. (a) वायुमंडल विभिन्न प्रकार के गैसों का मिश्रण है। इसमें मनुष्यों एवं जंतुओं के जीवन के लिए आवश्यक गैसें जैसे ऑक्सीजन तथा पौधों के जीवन के लिए कार्बन डाइऑक्साइड पाई जाती है।

(b) वायु पृथ्वी के द्रव्यमान का अभिन्न भाग है तथा इसके कुल द्रव्यमान का 99% पृथ्वी की सतह से 32 किलोमीटर की ऊंचाई तक स्थित है।

(c) वायु रंगहीन तथा गंधहीन होती है तथा यह पवन की तरह बहती है , तभी हम लोग इसे महसूस कर सकते हैं।

(d) जीवित रहने के लिए वायु सभी जीवो के लिए अति आवश्यक है, इसके बिना एक पल भी जीवित नहीं रह सकते हैं।

 वायुमंडल का संघटन
 २. 
(a) वायुमंडल गैसों, जलवाष्प एवं धूल कणों से बना है।120 किलोमीटर की ऊंचाई मेंं ऑक्सीजन की मात्रा नहींं के बराबर पाई जाती है। इसी प्रकार, कार्बन डाइऑक्साइड एवं जलवाष्प पृथ्वी की सतह से 90 किलोमीटर की ऊंचाई तक ही पाई जाती है।

(b) गैस
(अ) कार्बन डाइऑक्साइड मौसम विज्ञान की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण गैस है, क्योंकि यह सौर विकिरण के लिए पारदर्शी है, लेकिन पार्थिव विकिरण के लिए अपारदर्शी है।

(ब) यह सौर विकिरण के एक अंश को सोख लेती है तथा इसके कुछ भाग को पृथ्वी की सतह की ओर प्रतिबिंबित कर देती है। यह ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए पूरी तरह उत्तरदायी है।

(स) दूसरी गैसों का आयतन स्थिर है, जबकि पिछले कुछ दशकों में मुख्यतः जीवाश्म इंधन जलाये जाने के कारण कार्बन डाइऑक्साइड के आयतन में लगातार वृद्धि हो रही है। इसने हवा के ताप को भी बढ़ा दिया है।

(द) ओजोन वायु मंडल का दूसरा महत्वपूर्ण घटक है जो कि पृथ्वी की सतह से 10 से 50 किलोमीटर की ऊंचाई के बीच पाया जाता है। ओजोन वायुमंडल एक फिल्टर की तरह कार्य करता है तथा सूर्य से निकलने वाली पराबैगनी किरणों को अवशोषित कर उनको पृथ्वी की सतह पर पहुंचने से रोकता है।

(c) जलवाष्प

(अ) जलवाष्प वायुमंडल में उपस्थित ऐसे परिवर्तनीय गैस है, जो ऊंचाई के साथ घटती जाती है।

(ब) गर्म तथा आर्द्र उष्ण कटिबंध में यह हवा के आयतन का 4% होती है, जबकि ध्रुवों जैसे ठंडे तथा रेगिस्तान में जैसे शुष्क प्रदेशों में यह हवा का आयतन के 1% भाग से भी कम होती है।

(स) विश्ववत् वृत्त से ध्रुव की तरफ जलवाष्प की मात्रा कम होती जाती है। यह सूर्य से निकलने वाले ताप के कुछ भाग को अवशोषित करती है।

(द) इस प्रकार यह एक कंबल की तरह कार्य करती है तथा पृथ्वी को ना तो अधिक गर्म ना ही अधिक ठंडा होने देती है। जलवाष्प वायु को स्थिर और अस्थिर होने में भी योगदान देती है।

(d) धूलकण

(अ) वायुमंडल में छोटे-छोटे ठोस कणों को भी रखने की क्षमता होती है। ये छोटे कण विभिन्न स्रोतों जैसे - समुंद्री, नमक, महीन मिट्टी, धुएं की कालिमा, राख, पराग, धूल तथा उल्काओं के टूटे हुए कण से निकलते हैं।

(ब) धूलकण प्रायः वायुमंडल के निचले भाग में मौजूद होते हैं, फिर भी संवहनीय वायु प्रवाह इन्हें काफी ऊंचाई तक ले जा सकता है।

(स) धूलकणों का सबसे अधिक जमाव उपोष्ण और शीतोष्ण प्रदेशों में सुखी हवा के कारण होता है, जो विषुवत् और ध्रुवीय प्रदेशों की तुलना में यहां अधिक मात्रा में होते हैं।

(द) धूल और नमक के कण आर्द्रताग्राही केंद्र की तरह कार्य करते हैं जिसके चारों ओर जलवाष्प संघनित होकर मेघों का निर्माण करती है।

वायुमंडल की संरचना

.

(अ) वायुमंडल अलग-अलग घनत्व तथा तापमान वाली विभिन्न्न परतों का बना होता है। पृथ्वी की सतह के पास घनत्व अधिक होता है, जब की ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ यह घटता जाता है। तापमान की स्थिति के अनुसार वायुमंडल को पांच विभिन्न संसतरों में बांटा गया है। यह है : 

1. क्षोभमंडल
2. समतापमंडल
3. मध्य मंडल
4. बाह्य वायुमंडल
5. बहिर्मंडल

1. क्षोभमंडल : (अ) क्षोभमंडल वायुमंडल का संस्तर से नीचे का संस्तर है। इसकी ऊंचाई सतह से लगभग 13 किलोमीटर है तथा यह ध्रुव के निकट 8 किलोमीटर तथा विश्वत् वृत्त  पर 18 किलोमीटर की ऊंचाई तक है।क्षोभमंडल की मोटाई विषुवत् वृत्त पर सबसे अधिक है, क्योंकि तेज वायु प्रवाह के कारण ताप का अधिक ऊंचाई तक संवहन किया जाता है। 

(ब) इस संस्तर में धूलकण तथा जलवाष्प मौजूद होते हैं। मौसम में परिवर्तन इसी संस्तर मे होता है। इस संस्तर मैं प्रत्येक 165 मीटर की ऊंचाई पर तापमान 1 डिग्री सेल्सियस घटता जाता है। जैविक क्रिया के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण संस्तर है।
क्षोभमंडल और समतापमंडल को अलग करने वाले भाग को क्षोभसीमा कहा जाता है। विश्वत् वृत्त के ऊपर क्षोभ सीमा में हवा का तापमान  -80 डिग्री सेल्सियस और ध्रुव के ऊपर  -45 डिग्री सेल्सियस होता है। यहां का तापमान स्थिर होने के कारण इसे क्षोभसीमा कहा जाता है।

2. समतापमंडल : समतापमंडल इसके ऊपर 50 किलोमीटर की ऊंचाई तक पायााा जाता है। समतापमंडल का एक महत्तवपूर्ण लक्षण यह है कि इसमें ओजोन परत पायी जाती है। यह परत पराबैगनी किरणों को अवशोषित कर पृथ्वी को उर्जा के तीव्र तथा हानिकारक तत्वों से बचाती है।



3. मध्यमंडल : मध्यमंडल, समतापमंडल के ठीक ऊपर 80 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैला होता है। इस संस्तर  में ऊंचाई के साथ - साथ तापमान में कमी होने लगती है और 80 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंचकर यह -100 डिग्री सेल्सियस हो जाताा है।
मध्यमंडल की ऊपरी परत को मध्य सीमा कहते हैं।

4. आयनमंडल : (अ) आयनमंडल मध्यमंडल के ऊपर 80 से 400 किलोमीटर के बीच स्थित होता है। इसमें विद्युत आवेशित कण पाये जाते हैं, जिन्हें आयन कहतेे हैं तथा इसलिए इसे आयनमंडल के नाम  से जाना जाता है। 

(ब) पृथ्वी के द्वारा भेजी गई रेडियो तरंगे इस संस्तर के द्वारा वापस पृथ्वी पर लौट आती हैं। यहां पर ऊंचाई बढ़ने के साथ ही तापमान में वृद्धि शुरू हो जाती है ।

5. बहिर्मंडल : (अ) वायुमंडल का सबसेे ऊपरी संस्तर, जो वायुमंडल के ऊपर स्थित होता है उसे बहिर्मंडल कहते हैं।
(ब) यह सबसे ऊंचा संस्तर है तथा इसके बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। इस संस्तर मैं मौजूद सभी घटक विरल हैं, जो धीरे-धीरे बाहरी अंतरिक्ष में मिल जाते हैं। 

(स) यद्यपि वायुमंडल के सभी संस्तर हमें प्रभावित करते हैं फिर भी भूगोलवेत्ता वायुमंडल के पहले दो संसतरों का ही अध्ययन करते हैं।

मौसम और जलवायु के तत्व

४.

ताप, दाब, हवा, आर्द्रता, बादल और वर्षण, वायुमंडल के महत्वपूर्ण तत्व हैं, जो पृथ्वी पर मनुष्य के जीवन को प्रभावित करते हैं।

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