जगत
सूरज की स्वर्णजयंती में
किरणें नाच रही हैं
सुबह की ताजी हवाओं में
तितलियां उड़ रही हैं ।
मेरे बगीचे के आंगन में
कलियां खिल-खिला रही है
जगत की विस्तृत बगिया में
मेरा जीवन मुस्कुरा रहा है ।
सत्य को हम नहीं पा सकते
पर वह जाना जा सकता है
अज्ञात जगत की सच्चाई
हम जान नहीं पाते हैं ।
छोटा बड़ा का भेद कहां ?
मानव की कल्पना है ।
छोटा दीपक और बड़ा सूरज
दोनों अंधकार मिटाते हैं ।
जगत सौन्दर्य का ही नाम है
सुगंध और संगीत भरा है
नीचे सागर लहर रहा है
ऊपर चांद चमक रहा है ।
सत्य की प्रकट रूप जगत है
पदार्थ प्राण का प्रगट रूप है
अदृश्य की केवल बातें होती हैं
जीवन की अभिव्यक्ति जगत है
जीवन एक बंधन नहीं है
मिथ्या व्यक्तित्व बंधन है
मोक्ष की आकाश में नहीं
स्वतंत्र जगत में ही मोक्ष है ।
स्वतंत्रता में जीने का ही
नाम मोक्ष कहलाता है
जीवन की परिपूर्णता में
जीवन की कला ही मोक्ष है ।
जगत एक अनन्त रहस्य है
ज्ञानी इसे नहीं पा सकते हैं
धर्मों ने रहस्य की हत्या कर दी
उनमें मनुष्यता कहीं नहीं है ।
रहस्य विनम्रता से मिलता है
विज्ञान में ही विनम्रता है
सब प्रकट होने वाला है
उसकी खोज हो रही है ।
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