रोशनी और अंधेरा
बहुत दूर-दूर तक चारों ओर
फैला हुआ है घना अंधकार
भूख बेकारी अशिक्षा
अंधविश्वास अज्ञानता
धुंध बनकर छा गया है
छोटे-छोटे झोपड़ियों में
भूत-प्रेत-सा बीमार कुपोषित
विपुल मानव काया घूम रही है
अंधकारों के बीच कुछ द्वीप
रोशनी में जगमग चमक रहे हैं
ऊंची-ऊंची अट्टालिकाएं
समृद्धि के चकाचौंध में
देवदूत मानव घूम रहे हैं
यहां नहीं है कहीं अंधेरा
चटकारे लेकर लोग कहते हैं
केवल कहानी अंधेरे की
हाईटेक इलाकों में अब
सालों भर उजाला रहता है
लक्ष्मी भी वही जाती हैं
जहां घी के दिए जलते हैं
ज्यादा रोशनी में हिंसा का
गहन अंधेरा छा जाता है
अंधेरा में समृद्धि के लिए
रोशनी को कम कर देते हैं
रोशनी के बीचो बीच कम्पनियां
मौत का सौदा कर रही हैं
रोशनी भी नहीं है सुरक्षित
दिनदहाड़े रोशनी में ही
होती है अपराधिक घटनाएं
पांच सितारा होटलों, क्लबों
रेस्तराओं तथा नाचघरों में
बलात्कार का उत्सव मनाया जाता है
आध्यात्मिक रोशनी वाले
जिंदगी के खुशनुमा रोशनी को
डकैत बनकर लूट रहे हैं
सोने के खड़ाऊं पहनकर
रत्नजटित सिंहासन पर बैठकर
निजी चैनलों पर देते हैं ब्रह्मज्ञान
बदले में धन इकट्ठा करते हैं
विमान पर आकर देते दिव्य ज्ञान
व्यक्तिवाद का करते प्रचार
बनते पांच सितारा का मेहमान
द्वीप को बचाने के लिए
घातक हथियार और सेना है
पूर्वजन्म, कर्मफल, ईश्वर कृपा
धर्मशास्त्र,अनैतिक अर्थशास्त्र
सभी पूंजी को बचाने खड़े हैं
रोशनी में है अघाया समाज
अंधेरे में है भूखा समाज
द्वीप पर खतरा मंडरा रहा है
अंधेरे के लोग उठ खड़े हैं
वे द्वीप पर हमला करेंगे
वे रोशनी बांटना चाहते हैं
भूख, दीनता, कुपोषण से लड़ते
लोग रोशनी की ओर बढ़ रहे हैं
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