प्रलय



कहां कौन है तेरा बोलो
मुसाफिर जाएगा कहां ?
जीवन का नाम है दुनिया
छोड़ इसे जाएगा कहां ?


पृथ्वी चलती रहती है
क्षुद्र ग्रह टकराते हैं
कठिनाई आती रहती हैं
जीवन चलता रहता है ।


हर पल दुनिया बनती है
नष्ट होती है फिर बनती है
यह चक्र चलता रहता है
आरंभ और अंत होता है ।


दिलचस्प है यह लीला
रोमांचकारी भी यह है
प्रलय है विध्वंस कल्पना
यह व्यापक हो जाता है ।


मनुज पर भर छा जाता है
अंधविश्वास  तब भरता है
हर झूठ सत्य बन जाता है
बड़ा बाजार बना देता है ।


इतिहास के हर काल में
अंधेरा प्रकाश बन जाता है
क्रांति परिवर्तन का गवाह
प्रलय सदा हो जाता है ।

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