कामना ( कविता )



सुंदर हो यह देश हमारा 
सुंदर हो यह संसार 
सुंदर सब मानव हो
 सुंदर हो गांव - जवार ।


सब के पेट में अन्न हो
हो सबके तन पर वस्त्र
मानवता जन-जन में भरी हो
कहीं कोई नहीं हो त्रस्त ।


सब के माथे पर छत हो 
सबका सुंदर हो परिधान 
बेकारी मिट जाए जग से
 सबका हो सम्मान समान ।


 सपत्ति का सम वितरण हो 
सबको मिले खेत खलियान
 मानव - मानव का भेद मिटे
 मानव सब हों एक समान


 हरी-भरी यह धरती हो
 कलरव से गूंजे आसमान 
वन उपवन सब सुंदर हो
 मधुर - मधुर कोयल की गान ।


सब और मुस्कुराते फूल खिलें
 मंद - मंद बहे मधुर बयार
 सृष्टि सुगंध से भर जाए
 सुंदर हो मानव का व्यवहार ।

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