प्रार्थना
सुनो - सुनो हे जग के करतार,
मैं रहा पुकार तुझे बार-बार ।
इस तपती धरती पर,
ले मनुज का अवतार ।
आओ - आओ फिर तुम,
आओ - आओ इस बार ।
राजे - महाराजे के घर,
आए थे तुम कई बार ।
झुग्गी झोपड़ी में आओ,
आओ तुम इस बार ।
यहां खोजते खाना बच्चे,
जहां कूड़ों का है भंडार ।
कुत्तों से जो पत्तल छीनता,
बनता है वह सरदार ।
घर - घर होता चीरहरण,
गली - गली में नरसंहार ।
हमें न चाहिए अब प्रभु,
चोरी से चीर का उपहार ।
दुःशासन को रोक सकते नहीं,
बंद करो द्युत का व्यापार ।
व्यक्ति का केवल दोष नहीं,
व्यवस्था भी है जिम्मेवार ।
ऊंच-नीच का भेद मिटे,
मिट जाए भ्रष्टाचार ।
वर्ग विहीन समाज बने,
बंद हो अत्याचार ।
रहे न कहीं शोषण - उत्पीड़न,
अकिंचन जन का उद्धार ।
समता को हो संचार,
बने एक नया संसार ।
आओ फिर तुम एक बार,
बसाओ एक नया संसार ।
सुनो - सुनो हे जग के करतार,
बनाओ एक नया संसार ।
सुनो - सुनो हे जग के करतार,
मैं रहा पुकार तुझे बार-बार ।
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