स्वाधीनता


हर एक मनुजों की एक चाह
होती बस स्वाधीनता हमारी
कोई भी मनुष्य इस भुवन में
रहना चाहता नहीं दासत्व में ।

जीव, जंतु हो या फिर मानुष
रहना चाहता नहीं पराधीन में
सबको प्यारी होती है अपनी
स्वाधीनता भरी अपनी दुनिया ।

जयन्त की पक्षी से पूछो
क्या है उनका हालचाल ?
उड्डयन के लिए पर उनके
रहते होंगे कितने व्याकुल ।

हमें किसी को कभी भी यहां
करना चाहिए नहीं परितंत्र
हरेक प्रणीवान आत्मा को
स्वतंत्रता का दृढ़ है प्रभुत्व ।

सब आजादी की इस दुनिया में
लेना चाहता स्वाधीनता की दम
हमें कभी भी किसी प्राणी को
दासता में बांधने का न है स्वत्व ।

अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार

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