मजदूर

मजदूर हूँ, हाँ मजदूर हूँ
संघर्ष मेरे हृदय में लय हो
दुनिया में हूँ दुनिया का हूँ मैं
सूखी एक ही  रोटी शक्ति मेरी
पसीने से ही सदा नाहता हूँ
ईमान अपना न कभी खोता हूँ
कोई मुझे धिक्कार कहे.....
उसे भी पी के सह लेता हूँ
सीमितता को अगर वो खोएँ
मैं क्रान्ति का हुँकार भी करता हूँ
विजयी हूँ विजय रहता हूँ हम
क्योकि हाँ.......
मै मजदूर हूँ, हाँ मजदूर हूँ।

---- वरुण सिंह गौतम

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