पाँच दोहे

*1--युद्ध*
वर्तमान में देश दो, हुए परस्पर क्रुद्ध ।
रूस और यूक्रेन में, अभी चल रहा *युद्ध* ।।

*2--भय*
चलता यदि होगा नहीं, जबतक युद्ध समाप्त ।
पूरे इस संसार में, तब तक है *भय* व्याप्त ।।

*3--नाश*

जीत मिले या हार हो, करता युद्ध हताश ।
युद्धों का परिणाम बस, नाश-नाश बस *नाश* ।।

*4--नीति*
अच्छी होती ही नहीं, कभी युद्ध की *नीति* ।
रहती सर्वोत्तम सदा, जनमानस में प्रीति ।।

*5--शांति*
*शांति* और संतोष ही, जीवन में उपयुक्त ।
जान-माल की हानि से, रखते हैं ये मुक्त ।।

डॉ० रामप्रकाश 'पथिक'
        कासगंज ( उ.प्र.)

पाँच शब्दों पर प्रस्तुत हैं पाँच दोहे तथा एक अतिरिक्त दोहा, जिसमें पाँचों शब्द हैं ---

         *छै दोहे*

*1--ताल*
ग्रीष्म तपाती है धरा, धूप हुई विकराल ।
देखो वर्षा के बिना, रिक्त पड़े सब *ताल* ।।

*2--नदी*
धीरे-धीरे कह रही, मंद *नदी* की धार ।
मुझे और जल चाहिए, बादल सुनो पुकार ।।

*3--पोखर*
*पोखर* पानी के बिना, गया एकदम सूख ।
खाली पूरा पेट है, उसको जल की भूख ।।

*4--झील*
परिवर्तित होती गई, दलदल में यह *झील*।
धूप गई है ग्रीष्म की, पूरा पानी लील ।।

*5--झरने*
*झरने* की गति मंद है, दिखे नहीं पर्जन्य ।
आएँ, बरसें कह रहा, हो जाऊँ मैं धन्य ।।

एक अतिरिक्त दोहा ( पाँचों शब्द)

*6-ताल, नदी, पोखर, झील, झरने*
*ताल, झील, पोखर, नदी, झरने* हुए उदास ।
बादल तो बरसे नहीं, कौन बुझाए प्यास ??

- डॉ० रामप्रकाश 'पथिक'
        कासगंज ( उ.प्र.)

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