बेजुवान मित्र


कुत्ता, बिल्ली, हाथी हो या गौ
हमें इनसबों के सहचारिता में
करना नहीं चाहिए दुर्व्यवहार
यह होते हमारे बेजुवान मित्र ।

हम मनुजों से तो विपुल
वफादारी यह सब हमारे
बेजुवान मित्र निभाते हैं
इनसे मँजना चाहिए हमें ।

कभी – कभी आप आपने
हिस्से की रोटी को इन कुछ
बेजुवान मित्र को खिला दे
ये अपनी मित्रता निभाने में
अर्पण करते अपने प्राणों को ।

वैषम्य न होती कि कौन
गीता, कौन कुरान पढ़ता
मानुष तो वह है जो इन
सब बेजुवान मित्रों की
मृदुल जुबानों को पढ़ता ।

अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय बिहार

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रामधारी सिंह दिनकर कविताएं संग्रह

मेसोपोटामिया सभ्यता का इतिहास (लेखन कला और शहरी जीवन 11th class)

आंकड़ों का सारणीकरण तथा सारणी के अंग Part 2 (आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण) 11th class Economics