मीराबाई.की पदावली

            
              पद 1

मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई 
जा के सिर मोर-मुकुट, मेरो पति सोई 
छाड़ि दयी कुल की कानि, कहा करिहै कोई? 
संतन ढिग बैठि-बैठि, लोक - लाज खोयी 
असुवन जल सींचि-सींचि, प्रेम-बेलि बोयी 
अब त बेलि फैलि गयी, आणंद-फल होयी 
दूध की मथनियाँ बड़े प्रेम से विलोयी 
दधि मथि घृत काढ़ि लियो, डारि दयी छोयी 
भगत देखि राजी हुयी, जगत देखि रोयी 
दासि मीरां लाल गिरधर ! तारो अब मोही

                       पद 2

पग घुंघरू बांधि मीरां नाची,
मैं तो मेरे नारायण सूं, आपहि हो गई साची 
लोग कहै, मीरां भइ बावरी; न्यात कहै कुल-नासी 
विस का प्याला राणा भेज्या, पीवत मीरां हाँसी 
मीरां के प्रभु गिरधर नागर, सहज मिले अविनासी

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