जीवनदाता वृक्ष


आओ मिलकर लगाए वृक्ष
संपूर्ण धरती बनाए हरित
द्रुम स्वयं लेती विषैली गैस
हमें देती प्राणदायिनी गैस
तरु स्वजन तपती स्वेद में
हमें देती छाया, शीतल, फल
राही विटप की छांव में बैठ,
खट्टे- मीठे फल इनका खाता
फिर भी लोग काट रहे रुक्ष
वृक्ष न अब हम कटने देंगे !

पर्णी से ही बढ़ती हरियाली
इनसे ही जीवन में खुशहाली
दरख्त से ही होती वृष्टि, झंझा
पावस, चौमासा से होती खेती
बारिश से होती उत्तम फसलें
प्रकृष्ट- उत्कृष्ट फसलें से होती
उमदा, उन्नत अन्न की उपज
अन्न से हम रहते खुशहाल
विटप ही हमारे जीवनदाता
यही होते हमारे सृष्टिकर्त्ता
वृक्ष न अब हम कटने देंगे !

अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय बिहार

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