नारियां


नारियों की इतिहास देख
जिसे पढ़ने का ना था स्वत्व
पढ़ने लिखने वाले मानवी को
उसके साथ ससुर देते थे ताने ।

आज नारियों हम मनुजों से
उत्कष जाती आगे ही आगे
आज वनिताओं अपनी यहां
लहराती फिरती है आह्वान ।

आज नारियों को भारत में
मर्त्य से है विपुल अधिकार
आज रामणी को पितृ धन में
भाइयों इतना‌ स्वत्व, प्रभुत्व ।

उथल पुथल कर डाली जिसने
वही भारत आज की कामिनी
आज की नारी अब किसी से
रहती कबों न पिछु इस भव में ।

जिनकी सामर्थ्य को देखकर
दुश्मन के छूट रहे हैं पसीनें
ऊंची बुलंदी पर जाती रही
वही भारत की नारी है ….

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रामधारी सिंह दिनकर कविताएं संग्रह

आंकड़ों का आरेखी प्रस्तुतीकरण Part 3 (आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण) 11th class Economics

मेसोपोटामिया सभ्यता का इतिहास (लेखन कला और शहरी जीवन 11th class)