अक्कमहादेवी के पद

         (1)

हे भूख! मत मचल
प्यास, तड़प मत
हे नींद ! मत सता
क्रोध, मचा मत उथल-पुथल 
हे मोह ! पाश अपने ढील
लोभ, मत ललचा
 हे मद! मत कर मदहोश 
ओ चराचर! मत चूक अवसर
ईर्ष्या, जला मत
आई हूँ संदेश लेकर चन्नमल्लिकार्जुन का

                      
                 (2)

हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर 
मँगवाओ मुझसे भीख 
और कुछ ऐसा करो 
कि भूल जाऊँ अपना घर पूरी तरह 
झोली फैलाऊँ और न मिले भीख 
कोई हाथ बढ़ाए कुछ देने को 
तो वह गिर जाए नीचे 
और यदि मैं झुकूँ उसे उठाने 
तो कोई कुत्ता आ जाए 
और उसे झपटकर छीन ले मुझसे ।

                                    

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रामधारी सिंह दिनकर कविताएं संग्रह

मेसोपोटामिया सभ्यता का इतिहास (लेखन कला और शहरी जीवन 11th class)

आंकड़ों का सारणीकरण तथा सारणी के अंग Part 2 (आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण) 11th class Economics