ईद

ईद के मुकद्दर खींचते ते तस्वीरों में
मानो लगे चार चाँद लगा दो जाना
खुशबू-ए-आलम की क्या महफूज!
हुस्न-इश्क़-मोहब्बत की ज़वानी लाना 

यह कुदरत की फितरत है शब-ए-प्रज्ञा
ईद उल-फ़ित्र के अमन-चैतन्य-इता'अत
फ़र्ज़ ते करे उल-फ़ितर पैगम्बर मुहम्मद
चले लय नयन के मन का कर ले अर्पण

                          -- वरुण सिंह गौतम

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