बगुलों के पंख

नभ में पाँती-बँधे बगुलों के पंख, 
चुराए लिए जातीं वे मेरी आँखें। 
कजरारे बादलों की छाई नभ छाया, 
तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया। 
हौले हौले जाती मुझे बाँध निज माया से। 
उसे कोई तनिक रोक रक्खो। 
वह तो चुराए लिए जाती मेरी आँखें 
नभ में पाँती-बँधी बगुलों की पाँखें।

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