आओ मिलकर वृक्ष लगाएँ

       
आओ मिलकर वृक्ष लगाएँ ,
रत्नगर्भा को हरा भरा बनाएँ ,
फिर से कलित झाँकी सजाएँ , 
धरा को नव मुखाकृति दिलाएँ ,
पतझड़ वन को वसंत बनाएँ ,
आओ मिलकर वृक्ष लगाएँ।

आओ मिलकर वृक्ष लगाएँ ,
मानवों को जागृत कराएँ ,
वृक्ष का महत्व समझाएँ ,
और वृक्ष की कटती अदद के ,
तीव्र मोक्ष में विराम लगाएँ ,
आओ मिलकर बीच लगाएँ।

आओ मिलकर वृक्ष लगाएँ ,
लोगों को अवगत कराएँ ,
वृक्षों के अलावा धरा पर ,
हमारा जीवन होगा दुश्वार ,
इस विपत्ति की घड़ी को संभालने ,
आओ मिलकर वृक्ष लगाएँ।

आओ मिलकर वृक्ष लगाएँ ,
हमारे जीवन का आश्रय वृक्ष ,
इन्हीं से हमें प्राप्त होती ,
औषधि, लकड़ी, भोजन और गैस ,
निस्वार्थ मन से परकल्याण की ,
इनको चुकाने पड़ते स्वमेव श्वास ,
हम इंसानों की इंसानियत को बचाने ,
आओ मिलकर वृक्ष लगाएँ।

लेखक :- उत्सव कुमार वत्स

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रामधारी सिंह दिनकर कविताएं संग्रह

मेसोपोटामिया सभ्यता का इतिहास (लेखन कला और शहरी जीवन 11th class)

आंकड़ों का सारणीकरण तथा सारणी के अंग Part 2 (आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण) 11th class Economics