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समाज की नीतियां

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                 ऐरे-गैरों के साथ भागकर                  आख़िर क्या मिलता है ?         _______________________________ ऐसा करने से तो…. अपना समाज कमजोर बनता है, सौभाग्य से मिला हुआ धर्म नष्ट होता है, मां-बाप और परिवार की आबरू जाती है उन्हें रुला कर कोई सुखी नहीं हो पाती है, संस्कार और संस्कृति का सर्वनाश होता है, अभावग्रस्त, चिंतातुर, असुरक्षित जिंदगी होती है. भाग कर गयी हुई अधिकांश कन्याएं आज दुःखी हैं, परेशान होकर अनेकों ने तो आत्महत्या कर ली है. हजारों कन्याएं भागकर, औंधे मुंह की खाकर, वापस घर आयी हैं.वे न घर की रही हैं, न घाट की. हजारों ऐसी कन्याएं हैं, जिनके दूसरी बार विवाह करवाने पड़े हैं. पहला विवाह जिंदगी की मजबूती है, दूसरा विवाह तो जिंदगी की मजबूरी है. मजबूरी की जिंदगी भी क्या जिंदगी ! ⭕️'जरा सोचिये...🤔 शारीरिक सुख की चाह में, भावनाओं के आवेग और एट्रेक्शन में, भागकर शादी तो कर लोगी, पर आपके भविष्य का क्या होगा ? किसी से आकर्षित होकर, पूरे खानदान से बेवफ़ाई क...

लोगों को नहीं अपने दिल की सुने

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.    🔶'लोगो की नहीं अपने दिल की सुने'🔶 ______________________________________ एक नगर में एक मशहूर चित्रकार रहता था । चित्रकार ने एक बहुत सुन्दर तस्वीर बनाई और उसे नगर के चौराहे मे लगा दिया और नीचे लिख दिया कि जिस किसी को, जहाँ भी इस में कमी नजर आये वह वहाँ निशान लगा दे। जब उसने शाम को तस्वीर देखी उसकी पूरी तस्वीर पर निशानों से ख़राब हो चुकी थी। यह देख वह बहुत दुखी हुआ। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करे वह दुःखी बैठा हुआ था। तभी उसका एक मित्र वहाँ से गुजरा उसने उस के दुःखी होने का कारण पूछा तो उसने उसे पूरी घटना बताई । उसने कहा एक काम करो कल दूसरी तस्वीर बनाना और उस मे लिखना कि जिस किसी को इस तस्वीर मे जहाँ कहीं भी कोई कमी नजर आये उसे सही कर दे। उसने अगले दिन यही किया। शाम को जब उसने अपनी तस्वीर देखी तो उसने देखा की तस्वीर पर किसी ने कुछ नहीं किया। उस ने हर तरफ अच्छे से बार बार देखा एक भी निशान कही पर भी नहीं मिलावह संसार की रीति समझ गया । "कमी निकालना , निंदा करना , बुराई करना आसान लेकिन उन कमियों को दूर करना अत्यंत कठिन होता है शिक्षा - यही जिंदगी है ...

माता और पिता ही भगवान के रूप हैं।

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. अपने माता पिता का सम्मान करने के तरीके.. ______________________________________ 1.उनकी उपस्थिति में अपने फोन को दूर रखो. 2.वे क्या कह रहे हैं इस पर ध्यान दो. 3.उनकी राय स्वीकारें. 4.उनकी बातचीत में सम्मिलित हों. 5.उन्हें सम्मान के साथ देखें. 6.हमेशा उनकी प्रशंसा करें. 7.उनको अच्छा समाचार जरूर बताएँ. 8.उनके साथ बुरा समाचार साझा करने से बचें. 9.उनके दोस्तों और प्रियजनों से अच्छी तरह से बोलें. 10.उनके द्वारा किये गए अच्छे काम सदैव याद रखें. 11.वे यदि एक ही कहानी दोहरायें तो भी ऐसे सुनें जैसे पहली बार सुन रहे हो. 12.अतीत की दर्दनाक यादों को मत दोहरायें. 13.उनकी उपस्थिति में कानाफ़ूसी न करें. 14.उनके साथ तमीज़ से बैठें. 15.उनके विचारों को न तो घटिया बताये न ही उनकी आलोचना करें. 16.उनकी बात काटने से बचें. 17.उनकी उम्र का सम्मान करें. 18.उनके आसपास उनके पोते/पोतियों को अनुशासित करने अथवा मारने से बचें. 19.उनकी सलाह और निर्देश स्वीकारें. 20.उनका नेतृत्व स्वीकार करें. 21.उनके साथ ऊँची आवाज़ में बात न करें. 22.उनके आगे अथवा सामने से न चलें. 23.उनसे पहले खाने से बचें. 24.उन्हें घूरे...

जिंदगी के दस सूत्र

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☀️"ज़िंदगी के दस सूत्र"☀️ ________________________ इन दसों सूत्रों को पढ़ने के बाद पता चला कि सचमुच खुशहाल ज़िंदगी और शानदार मौत के लिए ये सूत्र बहुत ज़रूरी हैं। 1.अच्छा स्वास्थ्य :- अगर आप पूरी तरह स्वस्थ नहीं हैं, तो आप कभी खुश नहीं रह सकते। बीमारी छोटी हो या बड़ी, ये आपकी खुशियां छीन लेती हैं।  2.ठीक ठाक बैंक बैलेंस :- अच्छी ज़िंदगी जीने के लिए बहुत अमीर होना ज़रूरी नहीं। पर इतना पैसा बैंक में हो कि आप आप जब चाहे बाहर खाना खा पाएं, सिनेमा देख पाएं, समंदर और पहाड़ घूमने जा पाएं, तो आप खुश रह सकते हैं। उधारी में जीना आदमी को खुद की निगाहों में गिरा देता है। 3.अपना मकान :- मकान चाहे छोटा हो या बड़ा, वो आपका अपना होना चाहिए। अगर उसमें छोटा सा बगीचा हो तो आपकी ज़िंदगी बेहद खुशहाल हो सकती है। 4.समझदार जीवन साथी :- जिनकी ज़िंदगी में समझदार जीवन साथी होते हैं, जो एक-दूसरे को ठीक से समझते हैं, उनकी ज़िंदगी बेहद खुशहाल होती है, वर्ना ज़िंदगी में सबकुछ धरा का धरा रह जाता है, सारी खुशियां काफूर हो जाती हैं। हर वक्त कुढ़ते रहने से बेहतर है अपना अलग रास्ता चुन लेना। 5.दूसरों...

हमारा तिरंगा राष्ट्र का तिरंगा (कविता)

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गणतंत्र दिवस आया भाई, गणतंत्र दिवस आया । सबका प्यारा, सबका न्यारा, हमारा गणतंत्र दिवस आया । हमारा संविधान आया, भारत का कानून व्यवस्था आयी । इसी से हमारी पहचान हुई, इसी से हमारी सम्मान । बच्चे-बुजुर्ग सभी चलें गणतंत्र दिवस का झंडा फहराने । हमारे मन पावन, सब के मनभावन हमारा प्यारा गणतंत्र दिवस । यह हमारा पर्व है, सविधान का पर्व है, सबका पर्व है । छब्बीस जनवरी उन्नीस सौ पचास को पदार्पण हुआ  और स्वतंत्र गणराज्य बनाया । चाचा नेहरू,डॉ राजेंद्र प्रसाद, सरदार वल्लभभाई पटेल और डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का अहम योगदान रहा । गणतंत्र दिवस ने भारत को लोकतांत्रिक देश बनाया और हमलोगों को मौलिक अधिकार और सम्मान दिलाया । सुनो भाइयों, सुनो बहनों, सभी दिल्ली चलें  भारत के राष्ट्रपति महोदय के झंडात्तोलन देखने चलें । भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा की सलामी देखने चलें । परेड के साथ इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन चलें। हमारे भारत देश के सिपाही सभी को सलाम करते चलें । भारत की धरोहरों की शान और विलासिताओं को देखने चलें । हमारा गणतंत्र दिवस राष्ट्रीयता का भाव जगाता । स्वतंत्रता आंदोलन के वीर शहीदों...

यह गाथा है मेरे प्यारें राजस्थान की ( कविता )

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बलिदानों की भूमि है राजस्थान, कला और संस्कृतियों की भूमि है राजस्थान । धरोहरों की भूमि है राजस्थान, मरुस्थलों की भूमि है राजस्थान । बाईस देसी रियासत की भूमि है राजस्थान, राजाओं और महाराजाओं का भूमि है राजस्थान । वाल्मीकि का मरुकान्तार भूमि प्रदेश है राजस्थान, ऐतिहासिक और प्रागैतिहासिक की भूमि है राजस्थान । जॉर्ज थॉमस, कर्नल जेम्स टॉड और विलियम फ्रैंकलिन राजस्थान का नामकरण और परिचय कराया ।  राजस्थानीयादित्य बसंतगढ सिरोही के शिलालेख में उत्कीर्ण साक्ष्यों का समावेशों का परिणाम मिला । महाभारत काल में मत्स्य नरेश विराट का आधिपत्य, जहां पांडवों का अज्ञातवास व्यतीत हुआ ।  सिंधु घाटी सभ्यता की नींव यहीं पड़ी और  यही सर्वप्रथम भील और मीना जनजाति का पदार्पण हुआ । जहां रानी पद्मावती, राजकुमारी रत्नावती और रानी दुर्गादास राजपूतनी  की बलिदान की गाथा, । वहीं भक्त शिरोमणि मीराबाई, वीरांगना रानाबाई और कर्माबाई जैसी  भक्ति-धारा के आराधक । महाराणा प्रताप और राजा सूरजमल जैसे   योद्धा का शौर्य का डंका था पूरे भारत में । वहीं संत संप्रदाय में संत  दादू दयाल जी...

मां का प्यार

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बेटे के जन्मदिन पर ... रात के 1:30 बजे फोन आता है, बेटा  फोन उठाता है तो माँ बोलती है.."जन्मदिन मुबारक लल्ला" बेटा गुस्सा हो जाता है और माँ  से कहता है - सुबह फोन करती। इतनी रात को नींद खराब क्यों की? कह कर फोन रख देता है। थोडी देर बाद पिता का फोन आता है। बेटा पिता पर गुस्सा नहीं करता, बल्कि कहता है ..." सुबह फोन करते " फिर पिता ने कहा - मैनें तुम्हे इसलिए फोन किया है कि तुम्हारी माँ पागल है,जो तुम्हे इतनी रात को फोन किया। वो तो आज से 25 साल पहले ही पागल हो गई थी। जब उसे डॉक्टर ने ऑपरेशन करने को कहा और उसने मना किया था। वो मरने के लिए तैयार हो गई, पर ऑपरेशन नहीं करवाया। रात के 1:30 को तुम्हारा जन्म हुआ। शाम 6 बजे से रात 1:30 तक वो प्रसव पीड़ा से परेशान थी ।  लेकिन तुम्हारा जन्म होते ही वो सारी पीड़ा भूल गयी। उसके ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा । तुम्हारे जन्म से पहले डॉक्टर ने दस्तखत करवाये थे, कि अगर कुछ हो जाये, तो हम जिम्मेदार नहीं होंगे। तुम्हे साल में एक दिन फोन किया, तो तुम्हारी नींद खराब हो गई......मुझे तो रोज रात को 25 साल से, रात के 1:30 बजे उठाती है और ...

0️⃣ 'मालिक कौन' 0️⃣

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एक आदमी एक गाय को घर की ओर ले जा रहा था। गाय जाना नहीं चाहती थी। वह आदमी लाख प्रयास कर रहा था, पर गाय टस से मस नहीं हो रही थी। ऐसे ही बहुत समय बीत गया। एक संत यह सारा माजरा देख रहे थे। अब संत तो संत हैं, उनकी दृष्टि अलग ही होती है, तभी तो दुनिया वाले उनकी बातें सुन कर अपना सिर ही खुजलाते रह जाते हैं। संत अचानक ही ठहाका लगाकर हंस पड़े। वह आदमी कुछ तो पहले ही खीज रहा था, संत की हंसी उसे तीर की तरह लगी। वह बोला- "तुम्हें बड़ी हंसी आ रही है?" संत ने कहा- "भाई! मैं तुम पर नहीं हंस रहा। अपने ऊपर हंस रहा हूँ।" अपना झोला हाथ में उठा कर संत ने कहा- "मैं यह सोच रहा हूँ कि मैं इस झोले का मालिक हूँ, या यह झोला मेरा मालिक है?" वह आदमी बोला- "इसमें सोचने की क्या बात है? झोला तुम्हारा है, तो तुम इसके मालिक हो। जैसे ये गाय मेरी है, मैं इसका मालिक हूँ।" संत ने कहा- "नहीं भाई! ये झोला मेरा मालिक है, मैं तो इसका गुलाम हूँ। इसे मेरी जरूरत नहीं है, मुझे इसकी जरूरत है। तुम गाय की रस्सी छोड़ दो। तब मालूम पड़ेगा कि कौन किसका मालिक है? जो जिसके पीछे गया,...

इंसानियत की समझ

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एक चूहा एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था। एक दिन चूहे ने देखा कि उस कसाई और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं। चूहे ने सोचा कि शायद कुछ खाने का सामान है। उत्सुकतावश देखने पर उसने पाया कि वो एक चूहेदानी थी। ख़तरा भाँपने पर उस ने पिछवाड़े में जा कर कबूतर को यह बात बताई कि घर में चूहेदानी आ गयी है। कबूतर ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि मुझे क्या? मुझे कौन सा उस में फँसना है? निराश चूहा ये बात मुर्गे को बताने गया। मुर्गे ने खिल्ली उड़ाते हुए कहा. जा भाई.. ये मेरी समस्या नहीं है। हताश चूहे ने बाड़े में जा कर बकरे को ये बात बताई. और बकरा हँसते हँसते लोटपोट होने लगा। उसी रात चूहेदानी में खटाक की आवाज़ हुई,  जिस में एक ज़हरीला साँप फँस गया था। अँधेरे में उसकी पूँछ को चूहा समझ कर उस कसाई की पत्नी ने उसे निकाला और साँप ने उसे डस लिया। तबीयत बिगड़ने पर उस व्यक्ति ने हकीम को बुलवाया। हकीम ने उसे कबूतर का सूप पिलाने की सलाह दी। कबूतर अब पतीले में उबल रहा था। खबर सुनकर उस कसाई के कई रिश्तेदार मिलने आ पहुँचे जिनके भोजन प्रबंध हेतु अगले दिन उसी मुर्गे को काटा गया। कुछ दिनों बाद उस...

☀️'जल्दीबाजी में निर्णय लेने से बचें.

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एक बार की बात है एक राजा था। उसका एक बड़ा-सा राज्य था। एक दिन उसे देश घूमने का विचार आया और उसने देश भ्रमण की योजना बनाई और घूमने निकल पड़ा। जब वह यात्रा से लौट कर अपने महल आया। उसने अपने मंत्रियों से पैरों में दर्द होने की शिकायत की। राजा का कहना था कि मार्ग में जो कंकड़ पत्थर थे वे मेरे पैरों में चुभ गए और इसके लिए कुछ इंतजाम करना चाहिए। कुछ देर विचार करने के बाद उसने अपने सैनिकों व मंत्रियों को आदेश दिया कि देश की संपूर्ण सड़कें चमड़े से ढंक दी जाएं। राजा का ऐसा आदेश सुनकर सब सकते में आ गए। लेकिन किसी ने भी मना करने की हिम्मत नहीं दिखाई। यह तो निश्चित ही था कि इस काम के लिए बहुत सारे रुपए की जरूरत थी। लेकिन फिर भी किसी ने कुछ नहीं कहा। कुछ देर बाद राजा के एक बुद्घिमान मंत्री ने एक युक्ति निकाली। उसने राजा के पास जाकर डरते हुए कहा कि मैं आपको एक सुझाव देना चाहता हूँ। अगर आप इतने रुपयों को अनावश्यक रूप से बर्बाद न करना चाहें तो एक अच्छी तरकीब मेरे पास है। जिससे आपका काम भी हो जाएगा और अनावश्यक रुपयों की बर्बादी भी बच जाएगी। राजा आश्चर्यचकित था क्योंकि पहली बार किसी ने उसकी आज्ञ...

पुत्र का कर्तव्य

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एक बुढ़ा व्यक्ति था जिसकी पत्नि का कुछ समय पहले ही निधन हो गया था। अब परिवार में केवल बेटा, बहु और एक छोटा सा पोता था, जिनके साथ वह बूढ़ा व्यक्ति रहता था। वैसे तो परिवार सुख समृद्धि से परिपूर्ण था। किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन वह बूढ़ा बाप जो किसी समय अच्छा-खासा नौजवान था, आज बुढ़ापे से हार गया था। अब उसके हाथ-पैर भी कांपने लगे थे और कोई भी काम ठीक ढ़ंग से नहीं कर पाते थे। आज उसे चलने के लिए लाठी की जरुरत पड़ने लगी थी और चेहरा झुर्रियों से भर चुका था। पत्नि की मृत्यु के बाद वे टूट से गए थे और बस अपना जीवन किसी तरह व्यतीत कर रहे थे। उनके घर की एक परम्परा बहुत पीढीयों से चली आ रही थी कि घर में शाम का खाना सभी साथ करते थे। बेटा शाम को ऑफिस से घर आया तो उसे भूख बहुत तेज लगी थी सो जल्दी से भोजन करने के लिए बैठ गया, साथ में पिताजी भी बैठ गए। उसके पिताजी ने जैसे ही थाली उठाने की कोशिश की, तो थाली हाथ से छिटक गई और थोड़ी सब्जी टेबल पर गिर गई तो बहु-बेटे ने घृणा दृष्टि से पिता की ओर देखा और फिर से अपना खाना खाने लगे। बूढ़े पिता ने जैसे ही अपने हिलते हाथो से भोजन करना शुरू ...

☀️'इंसानियत और मानवता'☀️

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               ☀️'इंसानियत और मानवता'☀️     एक गिद्ध का बच्चा अपने माता-पिता के साथ रहता था।  एक दिन गिद्ध का बच्चा अपने पिता से बोला- "पिताजी, मुझे भूख लगी है।‘‘ "ठीक है, तू थोड़ी देर प्रतीक्षा कर। मैं अभी भोजन लेकर आता हूूं।‘‘ कहते हुए गिद्ध उड़ने को उद्धत होने लगा।  तभी उसके बच्चे ने उसे टोक दिया, "रूकिए पिताजी, आज मेरा मन इन्सान का गोश्त खाने का कर रहा है।‘‘ "ठीक है, मैं देखता हूं।‘‘ कहते हुए गिद्ध ने चोंच से अपने पुत्र का सिर सहलाया और बस्ती की ओर उड़ गया। बस्ती के पास पहुंच कर गिद्ध काफी देर तक इधर-उधर मंडराता रहा, पर उसे कामयाबी नहीं मिली।  थक-हार का वह सुअर का गोश्त लेकर अपने घोंसले में पहुंचा।  उसे देख कर गिद्ध का बच्चा बोला, "पिताजी, मैं तो आपसे इन्सान का गोश्त लाने को कहा था, और आप तो सुअर का गोश्त ले आए?‘‘ पुत्र की बात सुनकर गिद्ध झेंप गया।  वह बोला, "ठीक है, तू थोड़ी देर प्रतीक्षा कर।‘‘ कहते हुए गिद्ध पुन: उड़ गया।  उसने इधर-उधर बहुत खोजा, पर उसे कामयाबी नहीं मिली।  अपने घोंसले ...

लोकतांत्रिक देश मे नेताओ के द्वारा लूट

आज हर देश लोकतांत्रिक देश बनता जा रहा हैं.जिसमे लोगो के द्वारा सरकार को चुनती हैं.वे सरकार देश का प्रधानमंत्री से लेकर गाँव की मुखिया तक का होता हैं.वे जनता के लिए भगवान स्वरूप का होता हैं.जनता हर हमेशा सरकार पर निर्भर रहती हैं. लेकिन अब सरकार के संगठन मे भ्रष्टाचारी ,सूदखोरी,हत्या,चोरी-डकैती और संगठन मे सभी का एक मत न होना आदि कि समस्याएँ से भरपूर हैं.जनता से वोट पाने की लालसा हर हमेशा पक्ष-विपक्ष के सरकार से टकराव करते रहते हैं. सरकार निर्दयीता से गरीब जनता से लगान लेकर नेताओ का पेट भरते हैं.जनता के ऊपर विकाश के लिए नाममात्र का पैसा का वहन करती हैं.पूरे पाँच वर्ष के अवधि तक यही छोटा-सा काम का ढिनढोरा पिटती रहती हैं.नेता लोग देश को खोखला बना के रख दिया हैं.देश मे गरीबो का जंजाल से हमारे मातृभूमि को शर्म से झुका दिया हैं. नेतालोग सरकार से फंड लेकर अपना पेटी भरने को हर हमेशा आतुर रहती है,ये लोग निर्बल का जमीन हड़पकर,उन्हे बेदखल कर देते है,जिससे हासिया पे गये परिवार कष्टकारी जीवन के जीने के लिए मजबूर होते हैं.उन्हे हर हमेशा दर-दर भटकना पड़ता हैं.उन्हे सरकार से लेकर कानून तक का दरबाजा खटकान...

राजस्थान चालीसा

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*🐪 राजस्थान चालीसा🐪* *------------------------* *उत्तर देख्यो दिख्खणं देख्यो*  *देश दिशावर सारा देख्यां, पणं !* *हीरा तो चमके है बाळू रेत में।* *मोतीड़ा भळके है म्हारा देश में।* *रणबंका सिरदार अठै है।* *मोटा साहूकार अठै है।* *तीखोड़ी तलवार अठै है।* *भालां री भणकार अठै है।* *साफा छुरंगादार अठै है।* *नितरा तीज तिंवार अठै है।"* *बाजर मोठ जंवार अठै है।* *मीठोड़ी मनवार अठै है।* *अन धन रा भंडार अठै है।* *दानी अर दातार अठै है।* *कामणगारी नार अठै है।* *मुंछ्यांला मोट्यार अठै है।* *पो पाटी परभात अठै है।* *तारां छाई रात अठै है।* *अर, तेजो तो गावे है करसा खेत में।* *हीरा तो चमके है बाळू रेत मे !"* --------------------। *झीणो जैसलमेर अठै है।* *बांको बीकानेर अठै है।* *जोधाणों जालोर अठे है ।* *अलवर अर आमेर अठै है।* *सिवाणों सांचोर अठै है।* *जैपुर सांगानेर अठै है।* *रुड़ो रणथंबोर अठै है।* *भरतपुर नागौर अठै है।* *उदयापुर मेवाड़ अठै है।* *मोटो गढ चित्तोड़ अठै है।* *झुंझनूं फहेतपुर सीकर शहर अठै है।* *कोटा पाटणं फेर अठै है।* *आबू अर अजमेर अठै है।* *छोटा मोटा फेर अठै है।* *अर, डूगरपुर सु...

वन्दे मातरम् ( गीत )

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वन्दे मातरम् । सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्  शस्यश्यामलां मातरम् वन्दे मातरम् ।। शुभ्रज्योत्स्नां पुलकितयामिनीम्   फुल्ल-कुसुमित-द्रुम-दल-शोभिनीम् ।  सुहासिनीं सुमधुरभाषिणीम्  सुखदां वरदां मातरम् । वन्दे मातरम् ।। कोटि-कोटि कण्ठ कल-कल निनादकराले कोटि-कोटि भुजैर्धृत-खर- करवाले  बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं रिपुदल वारिणीं मातरम् वन्दे मातरम्  तुमि विद्या तुमि धर्म  तुमि हृदि तुमि मर्म   त्वं हि प्राणाः शरीरे  बाहु ते तुमि मां शक्ति  तोमारई प्रतिमा गडि, मन्दिरे- मन्दिरे । वन्दे मातरम् ।। त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी कमला कमलदलविहारिणी    वाणी विद्यादायिनी नमामि त्वां  नमामि कमलाम् अमलाम् मातरम्   सुजलां सुफलां मातरम् । वन्दे मातरम् ।। श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषितां   धरणीं भरणीं मातरम् । वन्दे मातरम् ।।

दोस्ती का मिसाल ( कविता )

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दोस्ती उस जिंदगी का साथ है जहां आत्मा दूसरे आत्मा से जुड़ाव है यह दोस्ती नहीं झुकने देती और ना ही मरने यह रिश्ता का मनमोहक सुगंध है जहां समाज में आनंददायक है एक दोस्त ही दूसरे दोस्त का दर्द जानता जहां सुख-दुख समय में साथ देता वहीं दोस्ती का मिसाल है और है कथा पौराणिक कथा से मिलती है दोस्ती की मिसाल जहां राम सुग्रीव की दोस्ती सिखाती है  बुरे वक्त में साथ देना  वहीं कर्ण दुर्योधन की दोस्ती का मिसाल  जहां सीखने को मिलती है किसी दोस्ती का आभार कृष्ण-सुदामा की दोस्ती की गाथा मनमोहक है  जो हमें सिखाती है दोस्ती की अहमियत दोस्ती शान-आन और विश्वास है दोस्ती पैसों से नहीं दिल से की जाती है दोस्ती ऐसा रिश्ता है जहां टकराव भी है वहीं प्यार भी दोस्ती जीवन का वह हिस्सा है जहां जाती है वहीं बन जाती दोस्ती ही जीवन की हर खुशनुमा मिठास है जहां निराश जीवन में आशा की दीप जलाती दोस्ती ऐसा समुंदर है जिसकी कोई थाह नहीं अगर मेरी दोस्त नाव है तो मैं उनकी पतवार अगर मेरी दोस्त वृक्ष है तो मैं उनकी छाया अगर मेरा दोस्त सूरज है तो मैं उनकी प्रकाश अगर मेरा दोस्त चंद्रमा है तो मैं उनकी...

संविधान दिवस ( कविता )

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इस संविधान का आविर्भाव हुआ 1949 ईस्वी ( नीति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी संवत 2006 विक्रमी )  को एतद् द्वारा करते हैं, इस संविधान को अंगीकृत,  अधिनियमित और आत्मार्पित संविधान दिवस है भारत का दिवस है यह तो भारत का गणराज्य दिवस है इनकी प्रस्तावना है संविधान की आत्मा इनसे मिलती है मौलिकता अधिकार संप्रभुता की अवधारणा, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक के ज्ञानों का स्वरूप है और मिलती है विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता संविधान का मूलभूत उद्देश्य याद दिलाती है  राष्ट्र की एकता और अखंडता का ज्ञान और याद दिलाती है समाजवादी  पंथनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य संविधान दिलाती है अपने राष्ट्र के प्रति पहचान और समस्त नागरिकों को दिलाती है प्रतिष्ठा, अवसर की समता और व्यक्ति की गरिमा, उन संविधान को कोटि-कोटि नमन

तीन वर्ग

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1. रोमन साम्राज्य के पतन के बाद पूर्वी एवं मध्य यूरोप के भागों में क्या परिवर्तन आया ? अनेक जर्मन मूल के समूहों ने इटली, स्पेन और फ्रांस के क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया था‌। 2. चौथी सदी में रोमन समाज्य का राजकीय धर्म क्या था और इस धर्म का फैला कहां-कहां था ? ईसाई धर्म, रूम की पतन के पश्चात भी इसाई धर्म बचा रहा और धीरे-धीरे मध्य और उत्तरी यूरोप में फैल गया। 3. यूरोप में मुख्य भूमिधारक और राजनीतिक शक्ति क्या था ? चर्च 4. तीन वर्ग का क्या तात्पर्य है ? इसका अभिप्राय तीन समाजिक श्रेणीयों से है: ईसाई पादरी, भूमिधारक अभिजात वर्ग और कृषक 5. यूरोप में ईसाई लोग चर्चों को किस प्रकार से उपयोग में लाते थे ? 1. यूरोप के इतिहासों, गांव के इतिहासों का विवरण रखते थे। 2. भू-स्वामित्व के विवरणों,मुल्यों और कानूनी मुकदमा जैसी बहुत सारी सामग्री दस्तावेजों के रूप में चर्चों में उपलब्ध थी । 3. चर्चों में मिलने वाले जन्म, मृत्यु और विवाह के अभिलेखों की मदद से ही परिवारों और  4. जनसंख्या की संरचना को समझा जा सकता था। 5. चर्चों से प्राप्त अभिलेखों ने व्यापारिक संस्थाओं के बारे में सूचना दी और गीत व कहानियां...

Motion of the earth | Geography class 6 | chapter number 3 |

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1. What types of motion ? There are two types of motion. 1. Revolution 2. Rotation 2. What is rotation ? The movement of the earth on its axis. 3. What is revolution ? the movement of the earth around the sun in a fixed path on orbit is called revolution. It takes 365 and one quarter days to revolve around the sun. 4. What do you think with orbital plane ? 1. The plane formed by the orbit is known as the orbital plane. 2. The axis of the earth which is as imaginary line. 3. Makes an angle of one half 66° with its orbital plane. 5. How does the earth receive light ? 1. The earth receives light from the sun. due to the spherical shape of the earth. 2.  Only half of it gets light from the sun at a time. 6. What is circle of illumination ? The circle devides the day from night on the globe is called the circle of illumination. 7. What is earthday ? The earth takes about 24 hour to complete one rotation around it axis. This period of rotation is known as the earthday. 8. What would be c...