खुशबू रचते हैं हाथ



कई गलियों के बीच
कई माला के पार
कूड़े-करकट
केरों के बाद 
बदबू से फटते जाते इस
टोले के अंदर
खुशबू रचते हैं हाथ 
खुशबू रचते हैं हाथ ।

उभरी नसोंवाले हाथ 
घिसे नाखूनोंवाले हाथ 
पीपल के पत्ते से नए-नए हाथ 
जूही की डाल - खुशबूदार हाथ
गंदे कटे-पिटे हाथ 
जख्म से फटे हुए हाथ ।

खुशबू रचते हैं हाथ
यहाँ इस गली में बनती है।
मुल्क की मशहूर अगरबत्तियां 
इन्हीं गंदे मुहल्लों के गंदे लोग  
बनाते हैं केवड़ा, गुलाब, खस और रातरानी
अगरबत्तियाँ
दुनिया की सारी गंदगी के कोच
दुनिया की सारी खुशबू

रचते रहते हैं हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ ।

कवि :- अरुण कमल

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रामधारी सिंह दिनकर कविताएं संग्रह

मेसोपोटामिया सभ्यता का इतिहास (लेखन कला और शहरी जीवन 11th class)

आंकड़ों का सारणीकरण तथा सारणी के अंग Part 2 (आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण) 11th class Economics