सुमित्रानंदन पंत चालीसा

    (जन्म दिवस पर विशेष)

छायावादी कवि भये, सुमित्रानंदन पंत।
प्रकृति के सुकुमार कवी,जीवन कविता संत।।

सुमित्रानंदन पंत कुमारा।
छायावादी कवि की धारा।।1
मई बीस सन सौ उन्नीसा।
सुंदर गोरे भये इक्किसा।।2
गंगा दत घर बेटा आया।
दत्त गुसाईं नाम धराया।।3
छै घंटे में मातु पयाना।
फिर दादी का गोद खिलाना।4
ऊपर का पय दूध पिलाया।
रोग दोष से खूब बचाया।।5
बाल पने से पितु ने पाले।
भोजन पानी के भी लाले।।6
सौम्य चेहरा चश्मेवाले।
केश तुम्हारे है घुंघराले।।7
कर्ज बोझ से पिता दुखारे।
बेची खेती अरु घर द्वारे।।8
उन्निस सौ दस शुभदिन आई।
हाय स्कूल सफलता पाई।।9
अल्मोड़ा से किया पयाना।
शिक्षा हेतू काशी आना।।10
क्वींस कालेज नाम लिखाये।
परीक्षा पास अव्वल आये।।11
फिर आगे की करी पढ़ाई।
छोड़ बनारस प्रयाग आई।।12
गांधी जी के बन अनुयाई।
असहयोग में कूदे भाई।।13
क्योर कालेज बाद इलाहा।
त्याग पढ़ाई कीना स्वाहा।।14
हिन्दी संस्कृत बंगला भाषा।
अंगरेजी भी लिखते खासा।।15
उच्छवास कविता की धारा।
पहला संग्रह लिखा विचारा।।16
सन छब्बिस में पल्लव आया।
जन की आह विचार समाया।।17
सन इकतीस में गढ़ प्रतापा।
गांधी के संग होये आपा।।18
फिर संपादक बन के आये
रूपाभ मासिक आप चलाये।।19
सन छत्तीसा युगांत आया।
साहित कविता नाम कमाया।।20
काव्य ग्राम्या सन चालीसा।
दशा गांव अरु जग की आशा।21
कला व बूढ़ा चांद रचाया।
काव्य संकलन धूम मचाया।।22
उन्निस साठा मान कमाया।
साहित्य अकादमी को भाया।।23
सन इकसठ में मिली बधाई।
पद्मा भूषण उपाधि पाई।।24
सन चौसठ महकाव्य रचाया।
लोकायतना नाम धराया।।25
अकाश वाणी राय शुमारी।
सात बरस तक समय गुजारी।26
छाया वादी  प्रगती वादी।
अरविंद दर्शन बन संवादी।।27
वीणा पल्लव आप रचाया।
युगपथ युगवाणी भी गाया।।28
सन अड़सठ में शुभदिन आया।
ज्ञानपीठ पुरस्कार पाया।।29
युगांत ग्राम्या प्रगतिवादी।
पीड़ दुखों की लगती आंधी।।30
ग्रंथि गुंजन ग्राम्या आया।
स्वर्ण धूलि ने रंग जमाया।।31
उतरा शिल्पी अतिमा पतझड़।
मेघनाद मानसि तारापथ।।32
मधु ज्वाल मे उमर रुबाई।
फारस से हिन्दी में आई।।33
फिर खादी के फूल सुहाये।
हरिवंश के संग में आये।।34
गा कोकिल संदेश सनातन।
मानव का परिचय अपनापन।।35
वन उपवन अरु खेत सुहाये।
ग्रामश्री में तुम समझाये।।36
छोड़ द्रुमों की अब मृदु छाया।
तोड़ प्रकृति से भी सब माया।।37
आदर्शो की रचना लेखी।
दीन गरीबी विपदा देखी।।38
आलोचक से नहि घबराते।
अपनी कविता खुलकर गाते।।39
जन की कविता आप रचाये।
हिंदी भाषा अलख जगाये।।40

अट्ठाइस दिस सतहत्तर,सूरज किया पयान।
हिन्दी साहित्य साधना,कहत है कवि मसान।।


लेखक- डॉक्टर श्री दशरथ मसानिया

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