मृत्यु


जिनकी गबन से आज
आतंकित होते सबलोग
वहीं अंत यथार्थ हमारा
मृत्यु ही पदांत्य हमारा।

इंतकाल से हर एक मनुज
निगूहन चाहता इस भव में
अजेय से सर्वपूर्व वो सगोत्र
जड़ी- बुट्टी, डॉक्टर- वैध से
स्वजन करवाता दवा- दारू।

कोई भी प्राणीवान आज
प्राण मोक्ष न चाहता कोई
कितना भी संताप झेलकर
निश्रेणी चाहता हर पल वो।

अवसान जब हो जाती
हम छोड़ जाते भव को
जाने के पश्चात भी उन्हें
कुछ अच्छी-बुरी सँवर से
याद करते उन्हें जहांन में।

कवि :- अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार

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