स्वयंरचित आर्टिकल :-बिगड़ती शिक्षा व्यवस्था में सुधार


भारत में शिक्षा व्यवस्था को लेकर अभी बहुत हालात गंभीर है इसका कारण है शिक्षकों की बहाली को लेकर। शिक्षा व्यवस्था को लेकर भविष्य में आने वाले नौजवानों के लिए संकट हो रहा है क्योंकि दसवीं और बारहवीं के मार्कसीट के आधार पर शिक्षक की बहाली करना चूंकि अभी परीक्षा में ढ़िलाई के कारण नौजवान की मार्कसीट अच्छी होती है फिर भी उनके पास पहले वाले शिक्षकों से पढ़ाने के मामले में बहुत कम अनुभव होता है। सरकार को पहले वाले शिक्षकों की बहाली अलग से करनी चाहिए इससे हमारे आने वाली पीढ़ी में  ज्ञान की अत्यधिक वृद्धि होगी और हमारा देश शिक्षा व्यवस्था के माध्यम से बुलंदियों को छुएंगा।सरकारी विद्यालयों में शिक्षा की हालात बहुत खराब है जिससे हमारे देश के विकास की गतिविधियों में स्थिरता छा जाती है। सरकार को सरकारी विद्यालयों में सख्त कानून का ऐलान करना चाहिए जिससे सरकारी विद्यालयों के बच्चे तथा शिक्षक दोनों  उस कानूनी व्यवस्था में बंध जाए और शिक्षा व्यवस्था को लेकर देश बुलंदियों की  ऊँचाईयों को छुएं और तरक्की करें।
सरकार को शिक्षा व्यवस्था को लेकर निम्नलिखित नियम हैं और इसका पालन करना जायज है नहीं तो वे दंड के भागीदारी बनेंगे।

१) शिक्षकों की गतिविधियों  पर हमें ध्यान देना चाहिए किसी गलती में पकड़े जाने पर उन्हें दंड स्वरूप जुर्माना भुगतान करना होगा।

२) विद्यार्थियों की गलत व्यवहारों पर सख्त कारवाही करनी चाहिए तथा शिक्षक को भी कानूनी तरीक़े से अधिकार मिलना चाहिए।

३)विद्यालयों की सभी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एक समूह की रचना करनी चाहिए।

४)सभी शिक्षा प्रभारी समूह को जाँच - पड़ताल के लिए एक इलाका देनी चाहिए।

५)शिक्षा व्यवस्था में आने वाली नैतिक समस्याओं को जल्द - से - जल्द कार्यवाही कर उसे जड़ से मिटाना चाहिए।

६)शिक्षा मंत्रालय को विभिन्न स्थानों के  अफसरों से विभिन्न स्थानों की शिक्षा व्यवस्था की रिपोर्ट लेनी चाहिए और कभी - कभी अपने आदमी को भी जॉंच - पड़ताल के लिए भेजना चाहिए ताकि वहाँ की असलियत मालूम हो सके।

ऐसे अनेक नियमों की सूची का गठन करना चाहिए और नियमों का पालन करना अनिवार्य करना चाहिए।

*शिक्षा व्यवस्था की कमी में हाथ* : -
१ )अफसर जिन्हें इन कार्यों की जिम्मेदारी दी गई है, वो अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से नहीं निभाते हैं ।जिस कारण सरकारी विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था बहुत ही खराब है।

२)शिक्षा मंत्रालय :- जिन्हें शिक्षा व्यवस्था का प्रधान बनाया गया है
पर वो यहाँ पूरी ईमानदारी से ध्यान नहीं देते,क्योंकि ये कभी अफसर से रिपोर्ट माँगते नहीं और अफसर भी रिपोर्ट देना उचित नहीं समझते और इसी कारण शिक्षा व्यवस्था का स्तर गिरा हुआ है।

३)शिक्षा विभाग को भी समय - समय पर अपने राज्य के मुख्यमंत्री को शिक्षा व्यवस्था के बारे में बात - विचार करना चाहिए और इसे बेहतर बनाने के लिए मुख्यमंत्री से बात साझा करना चाहिए।

*अब जनता की बारी* :-
जनता को भी अपने बच्चे को पढ़ने के प्रोत्साहित करना चाहिए तथा उन्हें हौसला देना चाहिए कि तुम भी पढ़ - लिखकर अपने मोहल्ले, गाँव, राज्य तथा देश का नाम रोशन कर सकते हो और देश की सेवा करने का अवसर पा सकते हो।
विद्यार्थियों को बदमाशी छोड़ अपने माता - पिता और गुरुजनों की बातें सुनकर पढ़ना चाहिए और अपने लक्ष्य की प्राप्ति को जी - जान लगा देना चाहिए।

*अब शिक्षकों की बारी*:-
शिक्षक को भी अपनी जिम्मेदारी का निर्वाहन करना चाहिए नहीं तो देश कभी तरक्की नहीं करेगा।
शिक्षक को निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए:-
१)शिक्षक को अपना आलसपन छोड़ विद्यार्थियों को मन से पढ़ाना चाहिए।
२)शिक्षक को विद्यार्थियों को टास्क तो अनिवार्य रूप से देना चाहिए।
३)बच्चे टास्क नहीं बनाते हैं तो उनके अभिभावक को सूचित करें ताकि वे उन्हें समझा सके और नहीं समझने पर दंड भी दे सकें।
४)शिक्षकों को बीच - बीच में टेस्ट लेना  चाहिए और चीट करने के लिए थोड़ी सी भी ढ़िलाई न दें और अभिभावक के समक्ष बच्चे का मार्क सीट दिखाना चाहिए ताकि वे अपने बच्चे के लिए सही फैसला ले सकें।

इन सब के अतिरिक्त सरकार को शिक्षा व्यवस्था के लिए उचित किसी भी नियम का गठन करना चाहिए और उन पर शिक्षा व्यवस्था को चलाना चाहिए।
ये सब करके देश को तरक्की करने में सहयोग करना चाहिए।

                                    रचनाकार : - उत्सव कुमार वत्स

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