माहौल


जिनका जैसा होता माहौल
लोग वैसे बन जाते जग में
हमारे इस जीवन में उत्तम
माहौल का होना अनुपेक्ष्य ।

जैसा परिवेश में रहते हम
अच्छा- बुरा कैसा भी हो !
परिस्थितियों के सम हम
वैसे ही ढल जाते भव में।

अगर किसी कारण वश हमें
रहना पड़े निकृष्ट पड़ाव में
उस मुकाम से सहेजना हमें
तब बदलेगी हमारी ये हयात ।

ठाँव ही हमारे हर सिद्धि , पूर्णता
होती है अडिग निशनी खलक में
अगर ठाँव, ठौर हमारा रहे उत्तम
तब हम उत्कृष्ट मनुज ही बनेंगे।

अच्छा – बुरा इंसान हम बन जाते
इसमें न होती हमारी कोई गलती
जैसे परिस्थितियां ढालता है हमें
वैसे ही ढल गए हम इस भव में ।

अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार

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