मंगल पांडे

रक्त  चंदन  जिससे  अभिषेक  चढ़ा
प्रथम गूंज थी  यह  अवशेष  किसका
शंखनाद किस प्रतीर में  ते  बज उठा
रक्तरंजित वो, खिले शिखर जिस ओर

मातृत्व चरणों के सौगन्ध छाँव में पला
सब थे पर‌‌ तू ही रण द्वंद्व के महासमर में 
क्रान्ति प्रदीप्त प्रज्ञा के अटल ज्योति थे
थर्र-थर्र रफ्ता-रफ्ता ही फिरंगी हुए संहृत

✍️✍️✍️✍️✍️ वरुण सिंह गौतम

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रामधारी सिंह दिनकर कविताएं संग्रह

आंकड़ों का आरेखी प्रस्तुतीकरण Part 3 (आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण) 11th class Economics

मेसोपोटामिया सभ्यता का इतिहास (लेखन कला और शहरी जीवन 11th class)