सुभाषचन्द्र बोस चालीसा

भारत मां के पूत है, ऐसे वीर सुभाष।
तनमनधन सब वारते, जग करता विश्वास।।

जय सुभाष तुम मंगलकारी।
तुम्ही सांचे  देश  पुजारी।।1
जन जन के नेता कहलाये।
आजाद हिन्द फौज बनाये।।2
नेताजी कह सभी पुकारी।
सब जन के थे पीड़ा हारी।।3
बल बुद्धि विद्या के सागर।
साहस चतुराई  के आगर।।4
अट्ठारह   संताणू  भाया।
तेइस जनवरि बालक आया।।5
कटक उड़ीसा खुशियां छाई।
जन्में नेता मिली बधाई ।।6
प्रभावति की कोख से आये।
पिता जानकी नाथ कहाये।।7
कटक पुरी में शिक्षा पाई।
कलकत्ता कालेज पढ़ाई।।8
ऊंची तालिम गये विलायत।
तन से बाहर मन से आयत।।9
आई एस पास  परीक्षा।
सन उन्निस मे लीनी दिक्षा।।10
छोड़ नौकरी सन इक्कीसा।
आये भारत देखी पीड़ा।।11
चित्तारंजन गुरू बनाये।
राजनीति सब उनसे पाये।।12
जलियां वाला बाग संहारा।
सुनकर दिल में लगा करारा।।13
बड़ अधिकारी रास बिहारी।
नवयुवकों की फौज संवारी।।14
हिटलर ने साहस सिखलाया।
लोहा से लोहा टकराया ।।15
स्वतंत्र मांग उन्निसा तीसा।
जेल रिहाई सन इकतीसा।।16
फिर अंग्रेज कैद कराये।
जेल कूद के जर्मन धाये।।17
जापानी को अपना कीना।
भारत हेतू जीवन दीना।।18
आस्ट्रिया की युवा कुमारी।
जो निज सचिव थी तुम्हारी।।19
सन सैतिस में ब्याह रचाई।
अनिता बेटी उनसे पाई ।।20
हरिपुरा अधिवेशन आया।
कांग्रेस अध्यक्ष बनाया।।21
सन उनतालिस में भी जीते।
संघर्षों में सब दिन बीते।।22
सीत रमैया  को हि  हराया।
फिर नेता जी बोस बनाया।।23
सन बैयालिस जनवरि भाषण।
बर्लिन रेडी किया प्रसारण।।24
जर्मन से सिंगापुर आये।
अंड निको आजाद कराये।।25
फिर नेताजी जर्मन छोड़े।
भारत में फिर सैनिक जोड़े।।26
सन तर्रालिस फौज बनाई।
आजाद हिन्द नाम धराई।।27
झंडा ऐसा जग में छाया।
दहाड़त बाघ चित्र सुहाया।।28
मार्च अठारह शुभ दिन भाई।
बरमा से सेना जब आई।।29
नारिन की भी टीम बनाई।
मार काट की लड़े लडा़ई।।30
सहगल लक्ष्मी बन कप्ताना।
युवतियां  भी सीना ताना।31
रानी रेजी मेंट भी संगी ।
साहस देख डरे फिरंगी।।32
सौ पच्चिसा जनम मनाते।
पराक्रम दिवस शीश झुकाते।।33
हे सुभाष तुम देश दुलारे।
भारत माता के तुम तारे।।34
मांगा खून युवा तरुणाई।
आजादी की अलख जगाई।।35
आज रात इक सपना देखा।
हमसे सुभाष मांगे लेखा।।36
मौज उड़ाते भ्रष्टाचारी ।
चौर उचक्का बन व्यापारी।।37
बेच ईमान बने भंडारी ।
स्वारथ साधें  बने लुटारी।।38
सेना देख बड़े हरषाये ।
वैक्सीन के दर्शन पाये।।39
जाते जाते शपथ कराई।
अब तुम रक्षा करना भाई।।40

अगस्त अठारा जानिये, अरु सन पैतालीस।
अंतिम दर्शन दे गये, सदा नवाओ शीश।।
गेट इंडिया पे लगी,भव्य प्रतिमा आज।
 देश हित में कीजिए, मानवता के काज।।

लेखक:-  डाॅक्टर श्री दशरथ मसानिया

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

रामधारी सिंह दिनकर कविताएं संग्रह

मेसोपोटामिया सभ्यता का इतिहास (लेखन कला और शहरी जीवन 11th class)

आंकड़ों का सारणीकरण तथा सारणी के अंग Part 2 (आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण) 11th class Economics