मजबूर
हर कोई कायर नहीं होता है । न परिस्थितियो से भागता है ।। कभी मेहनत से काम नही होता है । आदमी नियती के हाथो भी मजबूर होता है ।। माना मेहनत से बहुत कुछ बदलता है । पर कभी किस्मत का सिक्का भी चलता है ।। परिश्रम किस्मत की कश्ती से ही पार होता है । आदमी नियती के हाथों भी मजबूर होता है ।। लाख कमाओ पर लक्ष्मी नहीं टिकती । बहुत मेहनत से भी कभी मन्जिल नहीं मिलती ।। ऐडी चोंटी का जोर भी कभी कम लगता है । आदमी नियती के हाथों भी मजबूर होता है। कृष्ण काली रात मे जन्म लेकर आए । श्रीराम भी अपने वनवास को न रोक पाए ।। नियती के आगे ईश्वर का भी बस कहाँ चलता है । आदमी नियती के हाथों भी मजबूर होता है ।। विधाता भी विधि के वश मे होता है । मनुष्य के हाथो मे भी बहुत कुछ होता है ।। कर्म हमारे हाथो मे पर कर्मफल विधि हाथों मे है । आदमी नियती के हाथों भी मजबूर होता है।। लेखक :- एस एन उपाध्याय "बना"