शिक्षा का हूंकार
इमदाद नहीं, शिक्षा का हूंकार हो,
ज्ञान-दक्षता-संस्कार का समाविष्ट हो ।
परिष्कृत अंतर्निहित क्षमता व्यक्तित्व,
संकुचित नहीं, व्यापक प्रतिमान हो ।
सभ्य, समाजिकृत योग्य ज्ञान-कौशल,
सोद्देश्य सर्वांगीण सर्वोत्कृष्ट विकास हो ।
प्राकृतिक प्रगतिशील सामंजस्य पूर्ण,
राष्ट्रीय कल्याण और संपन्नता हो ।
पूर्णतया अभिव्यक्ति समन्वित विकास ही,
अंतः शक्तियां बाह्यजीवन से समन्यव हो ।
औपचारिक-निरौपचारिक-अनौपचारिक नहीं,
स्मृति - बौद्धिक - चिंतन स्तर प्रतिमान हो ।
स्वाबलंबी - आत्मनिर्भर - सार्थकता नींव ही,
गांधीवाद सशक्त प्रासंगिक अनुकरणीय हो ।
स्वायत्ता कौशलपूर्ण आत्म - नियमन समाज,
समतामूलक स्वराज का सदृढ़ राष्ट्र हो ।
सप्रभुत्व संपन्नता, समानतावादी एकता,
प्रतिष्ठा, गरिमा, बंधुत्वा, मौलिक अधिकार हो ।
अखंडता, अवसरता, लोकतंत्रात्मक गणराज्य,
सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक न्याय विचार हो ।
बेरोजगारी, अपने, रुग्ण आबादी, प्रदूषण,
अभिशप्त, अंधकारमय, दीन, इंतकाल है ।
सामाजिक नैतिक आध्यात्मिक मूल्य ही,
आधुनिकीकरण विकसित आर्थिक देश है ।
स्वच्छता, सततपोषणीय, स्वनिर्भर भारत,
आदर्शवादी, सशक्तिकरण, समतामूलक समाज हो ।
मानवीयता, सशक्तिकरण, समतामूलक समाज,
अनुसंधान - तकनीकी नवाचारों का प्रगतिमान हो ।
टिप्पणियाँ