बेटियाँ बोझ क्यूँ?
हम बेटियां तुम पर
बोझ क्यूँ....?
खटकते तुम्हारी आँखों में
हम रोज क्यूँ...?
क्या ही बिगाड़ा है हमनें
ब्लकि, यूँ कहो
तुम्हें संवारा है हमनें
माँ हो हरदम पास,
है तुम्हें ये शौक क्यूँ....?
हम बेटियों को
तुमसे खौफ क्यूँ..?
रौनक है घर में
हमारे होने से....
फर्क़ तुम्हें नहीं
क्यूं हमारे रोने से....
ब्याहने को करते
लड़की की खोज क्यूँ...?
हम बेटियां तुम्हें लगते
बोझ क्यूँ.....?
जिंदगी जीने का
हमे हक है....
हमसे शुरू यें दुनिया
तेरी हमपर ही खत्म है।
क्या अब तुम्हें इसमें भी
कोई शक है....
दादी माँ, सुनाओ कहानियां...
ऐसी तुम्हें चाह क्यूँ..?
दिखाते वृद्धाश्रम का
हमे राह क्यूँ.....?
घर में जन्मीं लक्ष्मी की
क्यों तुम्हें चाहत नहीं...
क्यों देते हमे तुम राहत नहीं..
हमें गर्भ से ही
तुमसे खौफ क्यूँ...?
हम बेटियां
तुमपे बोझ क्यूँ.......?...
पलक श्रेया
जवाहर नवोदय विद्यालय बिहार
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