बचपन कविता
क्या खूब वो बचपन का
जमाना था...
मां का प्यार ही...
खुशियों का खजाना था
खूब सारे खिलौने की
चाहत थी....
और दिल चॉकलेट का
दीवाना था....
ना दिल में डर,
ना जमाने का
ताना था ...
ना रोने की वजह,
ना हंसने का
बहाना था....
कितना भी थके
स्कूल में हों ,
शाम को खेलने भी
जाना था....
लड़ना झगड़ना
सब माफ था...
दिल दोस्तों का
दीवाना था...
क्या खूब वो बचपन का
जमाना था ...
खेलने में बीत जाता
सारे दिन....
अब राते कटते बस
तारे गिन गिनके
हर बच्चा था खुद में
स्वाभिमानी....
पसंद था सबको
बचपन में
बारिश का पानी...
जेब मे पड़ा पैसा
भले ही कम था...
दिलों में ना कभी
कोई गम था...
उस यादों भरी बचपन में
बहुत दम था...
मिल जाता दोबारा
वो सपनों का घर,
अगर ठहर जाता...
वह बचपन का पहर
कितना प्यारा दोस्तों से
याराना था...
क्या खूब वो बचपन का
जमाना था...
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