सिर्फ तुम कविता
सजे परे जो सपने इन आंखों में
उनकी मंजिल बस तुम्हारे दीदार का है
जीने में रह गई जो कमी उसे
भरने का हक भी तुम्हारे प्यार का है
आजकल लगा आंखों पर पहरा भी
तुम्हारी निगाहों का है
कहीं दूर से आती आवाजों में गूंज,
भी तुम्हारे अल्फाज का है
रातों की उड़ी नींद का कसूर भी
तुम्हारे ख्वाब का है
इस दिल को इंतजार बस
तुम्हारे इकरार का है ,⚘
इस अधूरे सफर में जरूरत अब
तुम्हारे साथ का है।
:-पलक श्रेया
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