मैं कविता हूँ
जब हाथ में कलम उठाते हैं
तो लेखनी और तेज हो जाती है
जब कविता के बारे में सोचती हूँ
तो नए - नए ख्याल मन में आते हैं
हां मुझे कविता से प्रेम है....
जब मैं दुखी होते हूँ
तो कविता मेरी सहारा बनती है
वों मेरे हर दर्द को बांटती है
वों मेरी हमदर्द बन जाती है
मेरी रफ्तार और बढ़ जाती है
हां मुझे कविता से प्रेम है....
जब मैं विचलित हो उठती हूँ
जीने का सहारा नहीं बचता है
तो कविता लिखने ही बैठ जाती हूँ
मेरे तन - मन को शांत कर देती
हां मुझे कविता से प्रेम है....
जब नकारात्मकता उत्पन्न होती
तो कविता सकारात्मकता उत्पन्न करती
हां तभी मैं कविता लिखने बैठ जाती
लेखनी बहुत तेज हो जाती
वास्तव में मुझे कविता से प्रेम है
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