अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के शुभ अवसर पर कुछ विचार



फ्लोरेंसेल के जन्म दिवस के शुभ अवसर पर हरेक वर्ष 12 मई को इस महापर्व को मनाया जाता है इसकी शुरुआत 1965 ईसवी से हुई थी। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेज, नए विषय की शैक्षिक योग्य और सार्वजनिक सूचना की जानकारी का निर्माण और वितरण से इस दिन को याद किया जाता है। विकसित देश में अधिक वेतन और सुविधाओं मिलने के कारण अधिकतर नर्स प्रवास कर जाते हैं। इसके दुष्परिणाम स्वरूप विकासशील देशों में नर्सों की संख्या और  कगारे पर है। शैक्षणिक योग्यता और सूचनाओं के अभाव के कारण विकासशील देशों में नर्सों के उज्जवल भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है।
दिनोंदिन रोगी और नर्सों के अनुपात की दूरी लगातार बढ़ती ही जा रही है। हरेक सौ साल में कोरोना महामारी जैसे बीमारी का पदार्पण होता रहा है, जिससे मानव सभ्यता की आबादी और देश की अर्थव्यवस्था शिथिल पड़ जाती है। कभी-कभी तो अकाल का भी सामना करना पड़ा। भारतीय इतिहास में बीसवीं शताब्दी का जीवन प्रत्याशा संतुलन में था। महामारी के इतिहास में अनेक बीमारियों जैसे प्लेग, हैजा, स्पेनिंग फ्लू और कोरोना महामारी हजारों आबादी मौत के मुंह में समा गए। डब्ल्यूएचओ के रिपोर्ट के अनुसार एक हजार लोगो की आबादी पर एक भी डॉक्टर नहीं है। संख्या के तय मानकों के अनुसार ग्यारह गुनी कम है। कोरोनावायरस रिपोर्ट के मध्य नजर देखते हुए मानो ऐसा लगता है कि अगले साल यह मानक के चौगुने होने की संभावना है। भारतीय एजेंटों के रिपोर्टों के अनुसार मानव जीवन प्रत्याशा सूचकांक और जीवन स्तर में कमी आ रही है। मानव विकास सूचकांक अंतरराष्ट्रीय तुलना में 130 रैंक है।
आईएमएफ के अनुमानतः के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था 2020 में 1.9 प्रतिशत की दर से बढ़कर 2021 में 7.4 प्रतिशत हो गई है।
    इन समस्याओं के मध्यस्थता को देखकर सरकार को नर्सो को एकीकरण और उनकी गुणवत्ता, वेतन और सुविधाओं बेहतर बनाने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए और स्कूल कॉलेजों जैसे संस्थानों में नर्सिंग पाठ्यक्रम का कोर्स पर जोर देना चाहिए, जिससे कि आने वाली पीढ़ी में चिकित्सकों और चिकित्सालयों पर आत्मनिर्भरता नहीं होना पड़े। समाज और अपने आसपास परिवार और पड़ोसियों में भी शिक्षित विवाहित महिलाओं को जागरूक से नर्सिंग विद्यालय और महाविद्यालय में दाखिला मे लोचदार होनी चाहिए। वैसे छात्र और छात्राओं जो आर्थिक से कमजोर है, उन्हें सरकार के तरफ से स्कॉलरशिप और अनुदान देना चाहिए। जिससे कि वों भी भारत के विकास में अपना योगदान दे सकें।
समाज के हरेक क्षेत्रों का जीवन प्रत्याशा और मानव विकास सूचकांक बेहतर करने का प्रयास सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

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