अभी नहीं तो कभी नहीं
ऐ मुसाफिर उठ जा,
शाम ढलने को है।
अभी तक तू सो रहे,
चल उठ जा।
चल कुछ नया करते हैं,
अपने निंद्रा का त्याग कर,
तुझमें अद्भुत प्रतिभा है।
चल तू उसे बाहर निकाल।
आज ही कर ले सब काम,
तुझे पानी है उस मुकाम।
कल के आस पर तुम,
क्यों करते हो तुम विश्वास।
अभी तुझमें जोश है,
आलस त्यागकर कुछ नया कर,
अपनी एक अलग पहचान बना।
आज का काम आज कर,
कल के लिए कुछ मत छोड़।
आज का समय खास है,
तू खुद पर विश्वास रख।
तू हिम्मत मत खोना आखरी सांस तक,
तू हौसला रख,
तेरा वक्त भी आएगा।
जब तू ऊंची मुकाम पर होगा।
**पुष्पा कुमारी
टिप्पणियाँ