शिक्षा कविता
आज शिक्षा का हाल बेहाल
व्यवस्था उनकी है बदहाल
सरकारी संस्थानों को पूछो मत
इन शिक्षकों को मुफ्त में कमाना
कैसे उन्हे अच्छा लगता
बच्चों का भविष्य खेतना
पता नहीं उनको कैसे भाता ?
शिक्षा बन गई है व्यापार
पैसे वाले इसमें शामिल होते
बढ़ावा भी इनको मिल जाती है
गरीबी बच्चे रोते रहते
क्योंकि गरीबी उनकी मजबूरी होती
आर्थिक - सामाजिक विकास जरूरी है
तभी हमारी शिक्षा पूरी है
गरीबी, भूखमरी को मिटाना है
देश को समृद्ध बनाना है
अशिक्षा को दूर करना हमारा कर्तव्य
घर - घर शिक्षा की चिराग जगाना है
और शिक्षा तंत्र को मजबूत बनाना है
शिक्षा बिना मनुष्य पशु समान
इसलिए शिक्षा का करों सम्मान
शिक्षा का अटूट बंधन है
जिसका ना होता कभी खंडन है
शिक्षा का ना करे अपमान
बनता है इससे महान
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